जीसस क्राइस्ट जिसे आमतौर पर ईसा या ईसा मसीह भी कहा जाता है। इन्हीं के नाम पर ईस्वी सन् का चलन है। ईसा मसीह ईसाई धर्म के अनुसार ईश्वर के अंतिम दूत या पैगम्बर है। इनका जन्म 25 दिसम्बर को एक बढ़ई के घर हुआ। यद्यपि यह निश्चित नहीं है कि जीसस का जन्म 25 दिसम्बर को ही हुआ था। हालांकि विश्व भर में फैले ईसाई धर्म के लोग इस दिन को अपने सबसे बड़े त्यौहार के रूप में आयोजित करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है।
भारत में हम जिस तरह से अपने त्यौहारों का आयोजन करते हैं क्रिसमस इससे बिल्कुल अलग है। हालांकि समय के साथ क्रिसमस को मनाने के तरीकों में भी काफी कुछ बदलाव देखने में आया है। आधुनिक समय में क्रिसमस पर एक दूसरे को उपहार देना और चर्च के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेना और घरों और चर्च की सजावट जैसी चीजों ने ने अपना वर्चस्व बना लिया है। सजावट के लिए क्रिसमस के पेड़, और विभिन्न रंगों की रोशनियां और झांकी आदि का प्रभाव देखा जाता है। क्रिसमस पर एक बूढ़े व्यक्ति की कल्पना की जाती है जिसे आमतौर पर सांता क्लॉज के नाम से संबोधित किया जाता है। जो कि बच्चों को क्रिसमस पर उपहार लाने का काम करता है। वैसे सांता क्लॉज का जो आधुनिक स्वरूप हम वर्तमान में देख रहे हैं उसे मीडिया ने गढ़ा है।
क्या है 13 से 29 वर्ष का रहस्य
जीसस क्राइस्ट के संबंध में बहुत सी रहस्यमयी बातें जनमानस में व्याप्त हैं। माना जाता है कि जीसस क्राइस्ट के जन्म के बाद 13 वर्ष तक का उल्लेख है लेकिन 13 से 29 वर्ष तक वे कहां रहे इस बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। यहां तक बाईबल में भी इस संबंध में कुछ नहीं लिखा गया है। बहुत से विद्वानों का यह समझना है कि इन वर्षों में वे भारत भ्रमण करते रहे। और उन्होंने एक योगी से योगविद्या का गहन अध्ययन और प्रैक्टिकल भी किया। वैसे भी विश्व में भारत की छवि एक आध्यात्म देश की बनी हुई थी। सर्वविदित है कि भारत की तीन चीजें पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करती थी। मसाले, सोना और आध्यात्म, ये तीन क्षेत्र ऐसे थे जो कि विश्व भर के लोगों को भारत आने के लिए विवश करते थे। वैसे भी भारत आने वाले आध्यात्म गुरूओं की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। और अब जो साक्ष्य प्राप्त हुएं हैं उनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि जीसस क्राइस्ट भारत के कश्मीर में बहुत वर्षों तक रहे। बहुत से विद्वानों के अनुसार इन वर्षों में जीसस क्राइस्ट भारत में रहे थे। कितने वर्ष रहे यह कोई निश्चित नहीं है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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