कुंडली के लग्न अनुसार अलग-अलग ग्रह आत्मकारक होते हैं, लेकिन सूर्य सार्वभौमिक आत्मकारक है। ग्रहों में इसे राजा की उपाधि प्राप्त है। जब जन्म कुंडली के लग्न में शक्तिशाली सूर्य हो तो जातक को राजनीति में उच्च पद प्राप्त होता है। उसके चेहरे पर विशेष आभा और चमक होती है। व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है। पिता से बहुत सारी संपत्ति मिलती है। लोग उसको देखने और सुनने का इंतजार करते हैं। वह भीड़ से अलग दिखाई देता है। इसलिए जो लोग किसी भी क्षेत्र में उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते हैं, जीवन में विशेष लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं, सरकारी तंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, उन्हें सूर्य की कृपा जरूर प्राप्त करनी चाहिए। उन्हें अपने ऑफिस में पूर्वी दीवार पर लगभग 7 से 12 इंच का तांबे से बना सूर्य का प्रतीक अभिमंत्रित करवाकर 7 से 9 फीट के हाइट पर लगाना चाहिए। जन्म कुंडली में सूर्य किसी भी स्थिति में हो, सूर्य का यह प्रतीक आपको प्रसिद्धि और सफलता अवश्य देखा, इसमें कोई शंका नहीं है।
लोहे से बना हुआ सूर्य कभी नहीं लगाएं
वर्तमान में तांबे की पॉलिश किए हुए सूर्य के ऐसे प्रतीक मैं देख रहा हूं, जो कि लोहे से बने होते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि लोहे का बना हुआ सूर्य का प्रतीक कभी नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि लोहा शनि होता है, और शनि और सूर्य की शत्रुता जगत प्रसिद्ध है। लोहे से बना हुआ सूर्य लगाने से कीर्ति नष्ट हो जाती है, बदनामी मिलती है। आप जैसे ही लोहे से बना हुआ सूर्य का प्रतीक लगाते हैं, वैसे ही उसके दुष्परिणाम दिखाई देने लगते हैं।
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यह जरूरी नहीं है कि आप 7 से 12 इंच साइज का सूर्य का प्रतीक ही लगाएं। लेकिन यह जरूरी है कि सूर्य का प्रतीक कितना भी छोटा क्यों ना हो उसे हमेशा तांबे से ही बना होना चाहिए। लोहे से बना हुआ सूर्य हमेशा आपको बदनामी देगा। आपकी प्रतिष्ठा को नष्ट करेगा।
टेस्ट करके खरीदें
जब आप कभी सूर्य का प्रतीक खरीदते हैं तो दुकानदार से कहें कि वह उसे पीछे से रगड़ कर दिखाए, कि तांबे से बना है या नहीं। मैं तो आपको यहां तक कहना चाहूंगा कि लोहे या प्लास्टिक से बना हुआ सूर्य का प्रतीक लगाने से बेहतर है कि आप न ही लगाएं। इससे फायदा यह होगा कि लोहे या प्लास्टिक के दुष्परिणामों से आप बचे रहेंगे।
Satyanarayan Jangid
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