नोटबंदी के बाद से ही अब मोदी सरकार की अब चेक बुक बंद कर सकती है। मोदी सरकार देशभर में भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए बैंकों में मिलने वाली चेक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है।
आपको बता दे कि डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पिछले साल से कई कार्यक्रम चला रही है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य लेन-देन को पूरी तरह डिजिटल करने का है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि मोदी सरकार जल्द ही चेक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश जारी कर सकती है। संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्डों के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है। और इसे अधिक सुचारु और लोकप्रिय बनाने के लिए वह चेकबुक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है।
खंडेवाल ने डिजिटल रथ की लॉन्चिंग पर इसकी जानकारी दी थी। CAIT और मास्टरकार्ड मिलकर इस कार्यक्रम को चला रहे हैं। जिसका उद्देश्य ट्रेडर्स को डिजिटल ट्रांजैक्शंस के तरीके बताने के साथ-साथ कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि सरकार करंसी नोटों की प्रिंटिंग पर 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है और नोटों की सुरक्षा और रखरखाव पर 6 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। दूसरी तरफ बैंक डेबिट कार्ड पेमेंट के लिए 1 प्रतिशत और क्रेडिट कार्ड के लिए 2 प्रतिशत चार्ज करते हैं। सरकार इस प्रक्रिया में बदलाव कर बैंकों को सीधे सब्सिडी पहुंचाना चाहती है जिससे इस चार्ज को हटाया जा सके।
आपको बता दे कि लेन-देन के लिए अधिकतर व्यापारिक चेक का ही यूज करते हैं। अभी भी 95 % ट्रांजैक्शंस कैश या चेक के जरिए होते हैं। नकद लेन-देन में नोटबंदी के बाद कमी आई और चेक बुक का उपयोग बढ़ गया। इस वित्त वर्ष के अंत तक सरकार ने 2.5 खरब डिजिटल ट्रांजैक्शंस का टारगेट रखा है। और सरकार इस टारगेट को पूरा करने के लिए जल्द ही चेक बुक पर बैन लगा सकती है।