अगस्ता वेस्टलैंड मामला : ईडी की याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

अगस्ता वेस्टलैंड मामला : ईडी की याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में कारोबारी राजीव सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा खत्म करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका खारिज कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में कारोबारी राजीव सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा खत्म करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका खारिज कर दी गई थी। 
न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन के साथ प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट के आठ जून के फैसले के खिलाफ ईडी की अपील पर सक्सेना को नोटिस जारी किया। 
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”नोटिस जारी किया जाए। इस बीच, चुनौती दिए गए आदेश पर रोक लगी रहेगी। 
इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमल लेखी ने कहा कि हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष स्पष्ट रूप से गलत था कि गवाही देने के बाद ही उसकी माफी खत्म की जा सकती है। इस पर पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता में यह प्रावधान है कि अगर गवाह कोई भी साक्ष्य पेश करने में विफल रहता है तो उसे दी गई माफी वापस ली जा सकती है। 
दुबई स्थित कारोबारी राजीव सक्सेना को अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 3600 करोड़ रुपये के इस कथित घोटाले में पिछले साल 31 जनवरी को भारत प्रत्यर्पित किया गया था। 
दरअसल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राजीव सक्सेना का सरकारी गवाह बनने का दर्जा खत्म करने के लिए निचली अदालत में दिया गया आवेदन विचारणीय नहीं है, क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 306 (4) के तहत उसका बयान दर्ज नहीं किया गया है। 
प्रवर्तन निदेशालय ने हाईकोर्ट से राजीव सक्सेना को सरकारी गवाह बनने का दर्ज खत्म करने का अनुरोध किया था, क्योंकि उसने सारे तथ्यों की जानकारी देने का वायदा किया था, लेकिन अब वह ऐसा नहीं कर रहा है। वित्तीय जांच एजेंसी ने सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा खत्म करने से इनकार करने के निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

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