रायपुर: कुछ वर्षों पहले तक देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाने वाला रायपुर अब पर्यावरण संरक्षण के मामले में बेहतर साबित हो रहा है। राजधानी के आसपास औद्योगिक क्षेत्रों के साथ नए कारखानों के चलते प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई थी। वहीं प्रदूषित टाप टेन शहरों में भी रायपुर को शुमार किया जाने लगा था। इससे सरकार की भी जमकर किरकिरी होने लगी थी। इधर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बीते दो वर्षों में नए सिरे से रणनीतिक काम के बाद प्रदूषण का ग्राफ गिरा है।
वहीं ताजे आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदूषित राजधानी से अब जहरीली हवाएं साफ होने लगी है। दरअसल, मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसके लिए सख्त निर्देश जारी किए थे। इसके बाद से ही पर्यावरण संरक्षण मंडल के स्तर पर काम शुरू हो पाया। अमले ने मिलकर जागरूकता अभियान के साथ इस दिशा में उद्योगों को नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी किए।
पर्यावरण सचिव अमन सिंह के मुताबिक इस मामले में सख्त रून अपनाए जाने के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस वर्ष दीवाली के बाद भी पर्यावरण अन्य वर्षों की तुलना में कम ही प्रदूषित हो पाई। इसे भी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पर्यावरण सचिव के निर्देश पर मंडल ने नए सिरे से काम शुरू किए इसका फायदा भी धीरे-धीरे नजर आया। बीते वर्षो में भी मंडल के अफसरों ने रणनीति बनाई थी।
इस रणनीति को आगे बढ़ाने के साथ सुधार की दिशा में अब बेहतर काम हुए हैं। मंडल के सूत्र दावा करते हैं कि हवा में प्रदूषण की मात्रा में धूल बड़ी वजह थी। प्रदूषण मंडल द्वारा पीएम 10 एवं पीएम 2.5 की जांच होती है। इस वर्ष हुई जांच में पीएम 10 की मात्रा में ही करीब 60 फीसदी तक गिरावट आ गई है।
मंडल की ओर से हवा की शुद्धता मापने के लिए क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन भी लगाए गए हैं। वहीं इनकी भी लगातार मानिटरिंग की गई। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 की तुलना में इस वर्ष प्रदूषण की मात्रा में 200 फीसदी तक कमी दर्ज की गई है। इसे पर्यावरण विभाग के सचिव समेत अमले को श्रेय दिया जा रहा है।