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केंद्र ने प्रवासियों को मुफ्त राशन वितरण की संभावना से किया इनकार, कहा- देश में पूर्ण लॉकडाउन नहीं

सरकार ने सोमवार को प्रवासियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि पिछले साल की तरह इस बार कोई अफरा तफरी जैसी स्थिति नहीं है और पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन नहीं है।

सरकार ने सोमवार को प्रवासियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि पिछले साल की तरह इस बार कोई अफरा तफरी जैसी स्थिति नहीं है और पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन नहीं है। हालांकि, सरकार ने दो महीने – मई और जून – में 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्ना योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अतिरिक्त मुफ्त अनाज वितरित करना शुरू कर दिया है।
सरकार ने कहा कि पीएमजीकेवाई के तहत मुफ्त अनाज वितरण के कारण खुले बाजार में खाद्यान्न की कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं हुआ है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने एक आभासी संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछले साल की तरह प्रवासी संकट उतना बड़ा नहीं है।
देश में पूर्ण राष्ट्रीय लॉकडाउन नहीं है। यह स्थानीय लॉकडाउन है, उद्योग काम कर रहा है। पूर्ण लॉकडाउन नहीं है। पहले की तरह घबराहट भी नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि जो प्रवासी अपने गांवों में वापस चले गए हैं, वे राज्य या केंद्रीय राशन कार्ड के माध्यम से राशन ले रहे हैं।
सचिव इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि सरकार ने कोविड मामलों के फिर से उभार के कारण प्रवासियों के लिए मुफ्त अनाज योजना की घोषणा क्यों नहीं की है। पिछले साल, सरकार ने प्रवासियों और फंसे प्रवासियों को मुफ्त में 6.40 लाख टन खाद्यान्न वितरित किया था।
अप्रैल 2020 से महामारी के दौरान राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सेवा के उपयोग में वृद्धि के बारे में बताते हुए, पांडे ने कहा कि अगस्त 2019 में इस सेवा के शुरु होने के बाद कुल 26.3 करोड़ लेनदेन में से लगभग 18.3 करोड़ पोर्टेबल लेनदेन हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बहुत चौंकाने वाला आंकड़ा है, जो दिखाता है कि लोगों ने पोर्टेबिलिटी सेवा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया है।’’
सचिव ने कहा, ‘‘अब तक, राज्यों ने अपने मासिक कोटा का 40 प्रतिशत पीएमजीकेवाई के तहत उठाया है। हमें उम्मीद है कि मई महीने के लिए वितरण का काम कार्यक्रम के अनुरूप है। पीएमजीकेएवाई के तहत, राशन की दुकानों के माध्यम से प्रति माह प्रति लाभार्थी को पांच किलो अतिरिक्त अनाज दिया जाता है। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत दिए गए मौजूदा कोटा के अतिरिक्त और अधिक है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस महीने अब तक एक लाख टन से अधिक खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या किसानों के एमएसपी के भुगतान के लिए डीबीटी में शिफ्ट करने के बाद पंजाब में ‘आढ़तियों’ (कमीशन एजेंट) का उनपर कोई दबाव है, सचिव ने कहा, ‘‘कोई भी बदलाव बहुत आसान नहीं होता है। यह बदलाव बहुत सहज रहा है और यह केन्द्र एवं पंजाब दोनों की अपेक्षाओं से परे है।
यह सुचारू इसलिए था क्योंकि पंजाब और केंद्र सरकार दोनों ने एक साथ मिलकर काम किया। ‘‘और आढ़तियों ने भी महसूस किया कि लगभग 2.5 प्रतिशत का उनका कमीशन का हिस्सा बरकरार है और सरकार आढ़तियों को उसका कमीशन का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ अनाज खरीद में वृद्धि के बीच इनाज के भंडारण के मुद्दों पर, सचिव ने कहा कि सरकार ने पहले ही परिवहन और भंडारण की व्यवस्था कर रखी है।
उन्होंने कहा, ‘‘नित प्रतिदिन 30-35 रेक की आवाजाही होती है। रेलवे ने आश्वासन दिया है कि वह अनाज की आवाजाही के लिए रोजाना 45-50 रेक देगा।’’ जैसे-जैसे वितरण के लिए उठाव बढ़ेगा, आवाजाही भी तेज होगी। सरकार के पास 160 लाख टन से अधिक अनाज की भंडारण क्षमता है और उसने इस साल अनाज को कैप (कवर और प्लिंथ) में नहीं रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि कोई समस्या नहीं होगी।’’

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