पटना : विशेष बच्चों की शैक्षणिक आकलन और मूल्यांकन विषय पर भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एजुकेशन, बेउर में विगत 21 मार्च से आरंभ हुए 5 दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम आज संपन्न हो गया। कार्यशाला के अंतिम दिन आयोजित समापन समारोह में सभी 30 प्रतिभागी विशेष शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रमुख डा. अनिल सुलभ ने कहा कि विशेष बच्चों की पहचान, पुनर्वास और शिक्षा में विशेष शिक्षकों की सबसे बड़ी भूमिका है। शिक्षा की इस विशेष पद्धति में निरंतर गुणात्मक विकास हो रहा है। इनमें निरंतर वैज्ञानिक और तकनीकी विकास भी हो रहे हैं, जिनसे इन कार्य में लगे विशेषज्ञों और विशेष शिक्षकों को अवगत रहना चाहिए। इसीलिए इस विधा की तकनीकी परिषद, भारतीय पुनर्वास परिषद, नियमित अंतराल पर इस प्रकार के सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम को निबंधन और निबंधन.दीर्घिकरण के लिए अनिवार्य कर रखा है।
डा. सुलभ ने कहा कि प्रदेश में विशेष बच्चों की संख्या की तुलना में विशेष विद्यालयों की संख्या नगण्य है। अनेक ऐसे प्रखंड हैं जहां एक भी विशेष विद्यालय नहीं है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चहित करना चाहिए किए प्रत्येक प्रखंड में कम से कम एक ऐसा विशेष विद्यालय अवश्य हो, जहां विशेष आवश्यकता वाले सभी क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा उपलब्ध हो।
औडियोलौजिस्ट एण्ड स्पीच-पैथोलौजिस्ट डा. धनंजय कुमार, प्रो. कुमारी पूर्णिमा, संस्थान के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. कपिलमुनि दूबे, रजनी सिन्हा तथा प्रो. समिता झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार मेजर एस. के. झा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विशेष शिक्षिका सरिता कुमारी ने किया। इस अवसर पर अभिजीत पांडेय, समद अली, महेंद्र कुमार, रजनी कांति और संतोष कुमार समेत सभी प्रतिभागी उपस्थित थे।
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