PM मोदी, महाजन, आडवाणी का वीर सावरकर को नमन - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

PM मोदी, महाजन, आडवाणी का वीर सावरकर को नमन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (विनायक दामोदर सावरकर) को उनकी136वीं जयंती पर नमन किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर (विनायक दामोदर सावरकर) को उनकी136वीं जयंती पर नमन किया। 
श्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘वीर सावरकर को हम उनकी जयंती पर नमन करते हैं। वीर सावरकर ने भारत को मजबूत बनाने के लिए असाधारण साहस, देशभक्ति और असीम प्रतिबद्धता का परिचय दिया। उन्होंने देशवासियों को राष्ट्र के निर्माण के प्रति खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।’’ 
श्रीमती महाजन, श्री आडवाणी और पूर्व संसद सदस्यों ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में वीर सावरकर के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव और राज्यसभा महासचिव देश दीपक वर्मा तथा दोनों सदनों के सचिवालयों के अधिकारीगण भी श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में शामिल थे। 
प्रधानमंत्री ने टि््वटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें उन्होंने वीर सावरकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। 
उन्होंने इस वीडियो में कहा, ‘‘सावरकर जी का व्यक्तित्व विशेषताओं से भरा था। वह शस्त्र और शास्त्र दोनों के उपासक थे। सावरकर यानी तेज, सावरकर यानी त्याग, सावरकर यानी तप, सावरकर यानी तत्व, सावरकर यानी तर्क, सावरकर यानी तारुण्य, सावरकर यानी तीर, सावरकर यानी तलवार।’’ 
श्री मोदी ने वीडियो में कहा, ‘‘आमतौर पर लोग वीर सावरकर को उनकी बहादुरी और ब्रिटिश राज के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए जानते हैं, लेकिन वह एक ओजस्वी कवि और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने हमेशा सछ्वावना तथा एकता पर बल दिया। सावरकर कविता और क्रांति दोनों को साथ लेकर चले। संवेदनशील कवि होने के साथ-साथ वह साहसिक क्रांतिकारी भी थे।’’ वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था और उनका निधन 82 वर्ष की आयु में 26 फरवरी 1966 को हुआ। 
इतिहासकारों के मुताबिक वीर सावरकर मुस्लिम लीग के जवाब में हिन्दू महासभा में शामिल हुये और बाद में हिन्दुत्व शब्द के प्रचलन को बढ़या। 
ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में कैद किया गया। बाद में उन्हें 1921 में रिहा कर दिया गया था।

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