उत्तर रेलवे ने जम्मू के कठुआ से पंजाब के उच्ची बस्सी तक लगभग 70 किलोमीटर तक बिना चालक के चलने वाली एक मालगाड़ी के लोको पायलट को सेवा से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि उसकी लापरवाही के कारण एक बड़ा हादसा हो सकता था जिससे लोगों की जान जा सकती थी। रेलवे सूत्रों ने कहा कि इस मामले में एक उच्च स्तरीय जांच जारी है तथा कुछ और लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
- 53 डिब्बों के साथ ट्रेन चली
- 70 किलोमीटर से अधिक की यात्रा
- अनुचित इंजन स्थिरीकरण प्रक्रियाओं का इस्तेमाल
सुरक्षित व्यवहार का पालन
इस मामले में अनुशासनात्मक प्राधिकारी वरिष्ठ मंडल यांत्रिक अभियंता (डीएमई) द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में कहा गया,” लोको पायलट संदीप कुमार अपने कर्तव्यों और साथ ही रेलवे मानदंडों के अनुसार सुरक्षित व्यवहार का पालन करने में भी विफल रहे। उन्होंने एक शॉर्टकट अपनाया और अनुचित इंजन स्थिरीकरण प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जिससे फिरोजपुर प्रखंड में 53 डिब्बों के साथ ट्रेन करीब 70 किलोमीटर तक चली गई।
70 किलोमीटर से अधिक की यात्रा
इसमें कहा गया, इससे एक बड़ी घटना हो सकती थी, जिससे जान-माल दोनों को नुकसान हो सकता था। इससे भारतीय रेलवे और विशेष रूप से उत्तर रेलवे की छवि भी खराब हुई। डीजल इंजन से चलने वाली मालगाड़ी ने रविवार को चालक के बिना जम्मू-कश्मीर के कठुआ से पंजाब के होशियारपुर जिले के एक गांव तक 70 से 75 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 70 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की। मालगाड़ी ने आठ से नौ स्टेशन पार किए। ट्रैक पर रेत और लकड़ी के ब्लॉक जैसी चीजें डालकर मालगाड़ी को ऊंची बस्सी पर रोका गया था। घटना के तुरंत बाद उत्तर रेलवे ने लोको पायलट समेत छह लोगों को निलंबित कर दिया था।
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