कुछ दिनों से प्रतीत हो रहा है कि मुलायम सिंह यादव के अपने पुत्र अखिलेश यादव के साथ संबंध सामान्य होने लगे हैं। पिछले सितम्बर में सपा मुख्यालय लखनऊ में जब अखिलेश यादव का जन्मदिन मनाया गया था तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अपने पिता के बगल में थे और दोनों ने एक-दूसरे को केक खिलाया था। फिर जब नवम्बर में मुलायम सिंह का जन्मदिन आया तो मुलायम ने केक काटा और पिता-पुत्र ने एक-दूूसरे को केक का टुकड़ा खिलाया। हाल ही में सपा सांसदों के लिए दिए गए डिनर में शामिल होने अखिलेश खासतौर दिल्ली आए थे तो यहां भी पिता-पुत्र एक-दूसरे के साथ सहज रूप से बातचीत करते नज़र आए। जिस तरह से अखिलेश आैर मुलायम की नजदीकी फिर से बढ़ रही है वह खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है कि शिवपाल आैर रामगोपाल के संबंध अभी भी कटु बने हुए हैं। रामगोपाल के द्वारा दिए गए डिनर में भी शिवपाल नहीं पहुंचे थे।
आखिरी वक्त पर जुड़ा संजय सिंह का नामः केवल यह बात अचरज की नहीं है कि अरविंद केजरीवाल ने एनडी गुप्ता आैर सुशील गुप्ता को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया बल्कि यह भी माना जा रहा है कि संजय सिंह का नाम भी आखिरी मौके पर जोड़ा गया है। हालांिक संजय सिंह केजरीवाल के विश्वस्त हैं आैर 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव प्रभारी के तौर पर वह काफी विवादित रहे थे। इस चुनाव में आप की हार के बाद संजय सिंह पर कई आरोप लगाए गए थे। वास्तव में आम आदमी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि आशुतोष राज्यसभा उम्मीदवारी के दौर में आगे चल रहे थे लेकिन जब केजरीवाल तक यह रिपोर्ट पहुंची कि बागी नेता कुमार विश्वास के साथ संजय सिंह की गुप्त बैठक हो रही है तो इसके बाद संजय सिंह को बुलाया गया और उन्हें मनाकर राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया। मजेदार बात यह है कि एनडी गुप्ता भाजपा के लिए जाने पहचाने चेहरे रहे हैं और सुशील गुप्ता कुछ महीने पहले तक कांग्रेस में थे। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या केजरीवाल ने कोई रणनीतिक गलती कर दी है?
परिवार से मिलकर भावुक हो जाते हैं लालूः प्रतीत होता है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार को रांची के बिरसा मुंडा जेल आने से रोक रखा है। यथार्थ में परिवार के सदस्यों को देखकर लालू भावुक और दुःखी हो जाते हैं। 2013 में भी जब उन्हें जमानत मिलने तक 9 महीने जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी तो उन्होंने परिवार को कह रखा था कि वे उनसे मिलने जेल न आएं। लालू के परिवार वाले लालू के वकील के संपर्क में हैं आैैर उनसे लालू की सेहत के विषय में जानकारी ले रहे हैं।
ममता की तारीफ का क्या है अर्थ? तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप वंदोपाध्याय की अध्यक्षता वाली रेल मंत्रालय की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने पर्यटन प्रमोशन आैर तीर्थ यात्रा सर्किट पर एक अच्छी रिपोर्ट पेश की है। जब यह रिपोर्ट लोकसभा में रखी गई तो भाजपा नेताओं ने इसकी खूब तारीफ की। हैरानी वाली बात यह है कि तारीफ संसदीय स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन की नहीं बल्कि उनकी बॉस ममता बनर्जी के लिए थी। राजनीतिक हलकों में हैरानी जताई जा रही है कि एक व्यक्ति जो लगभग रोजाना सत्तारूढ़ पार्टी की मुखर आलोचना कर रहा है उसके प्रति भाजपा सदस्यों में अचानक लगाव का भाव कैसे आ गया। क्या ममता बनर्जी की तारीफ करके भाजपा राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास करवाने में तृणमूल सुप्रीमो की मदद चाहती है।
सांसदों की गैरमौजूदगी से परेशानीः भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संसद सत्र के दौरान नियमित तौर पर उपस्थित रहने और मानसून सत्र के दौरान प्रधानमंत्री की फटकार के बावजूद लोकसभा में सांसदों की गैरमौजूदगी की वजह से भाजपा को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रतीत होता है कि बुधवार को सुमित्रा महाजन को अचानक सदन इसलिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि सत्तारूढ़ दल के पर्याप्त सांसद सदन में मौजूद नहीं थे। अगले दिन पार्टी के द्वारा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद कई सांसद सदन में नहीं पहुंचे।
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