Shivraj Singh Chauhan : 2. छात्र नेता से 4 बार मुख्यमंत्री बनने तक का सफर, क्यों कहते है इन्हे राजनीति का टाइगर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

Shivraj Singh Chauhan : 2. छात्र नेता से 4 बार मुख्यमंत्री बनने तक का सफर, क्यों कहते है इन्हे राजनीति का टाइगर

Shivraj Singh Chauhan : मध्यप्रदेश में विधानसभा सभा चुनाव संपन्न हुए करीब एक सप्ताह होने जा रहा है ऐसे में मुख्यमंत्री पद का चेहरा चर्चा का विषय बना रहा। ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर रही पार्टी शायद नई लीडरशिप की तरफ जाएगी। वही शिवराज सिंह चौहान के नाम को एक दम किनारे भी नहीं कर सकते क्योंकि इनके पास ना सिर्फ मुख्यमंत्री के तौर पर अच्छा खासा अनुभव है बल्कि राजनीति में भी इनका बड़ा इतिहास रहा है। बतौर सांसद भी कई बार लोकसभा जा चुके है। इतना बड़ा राजनीतिक सफर तय करना और लगातार जनता के बीच स्वीकार्यता बनाए रखना एक सफल नेता ही नहीं एक अच्छे चरित्र वाले वयक्ति की पहचान है। आज हम आपको के इनके राजनीतिक जीवन के विषय में बताएगें।

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परिवार शिवराज के राजनीति में जाने के खिलाफshivrajaja

शिवराज सिंह चौहान नर्मदा तट के पास एक छोटे से ग्राम जैत में 5 मार्च 1995 को जन्म हुआ था। पिता का नाम प्रेम सिंह और माता का नाम सुंदर बाई है। शिवराज सिंह में बचपन से ही कुशल नेतृत्व की क्षमता थी। हालंकि उनका परिवार उनके राजनीति में जाने के फैसले से खुश नहीं थे। सभी विरोधो को के बावजूद शिवराज सिंह चौहान ने राजनीती का रास्ता चुना और मजदूरों के हक़ में अपना पहला आंदोलन किया। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मजदूरी बढ़ना था जिसमे वो सफल भी रहे। शिवराज ने प्रारंभिक पढाई गांव में की और इसके बाद वो भोपाल में पढ़े। यही से उनका राजनीति के प्रति रुझान हो चला। कक्षा 10 में छात्र मंडल के सांस्कृतिक सचिव का चुनाव लड़ा जिसमे उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा। इसके एक साल बाद 11 वी कक्षा में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और इसमें विजय प्राप्त 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष बने।

छोटी सी उम्र में ही संघ से जुड़ेshivrajjajajaj a a

जिस उम्र में बच्चे गली में खेलते है उस समय में शिवराज जेल में जा चुके थे। महज 13 साल की छोटी सी उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जुड़ गए थे। उस दौरान उन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। शिवराज इस बीच 1976 – 77 में जेल भी गए थे। इनकी उच्च शिक्षा के विषय में बात की जाए तो इन्होने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज से दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और वो एक गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट रहे हैं।

राजनीतिक जीवन तब से अब तकshivraj shigh kaka

मुख्यमंत्री बनने से पूर्व शिवराज सिंह चौहान पांच बार लोकसभा के लिए सांसद भी राज चुके है। 10 वी लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा सीट छोड़ी उसके बाद शिवराज से सांसद बने। इसके बाद 12वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार भी वो विदिशा से ही सांसद बने और 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवीं बार सांसद चुने गए।

बतौर मुख्यमंत्री सबसे अधिक अनुभवshiv rajja ka ak a

पांच बार सांसद रहने बाद वर्ष 2005 में वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने। फिर मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बड़ा बदलवा हुआ और 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अब तक सबसे लंबे वक्त तक रहने का रिकॉर्ड भी है।

ऐसे बने सबके मामाshiv raj sinahaha

मुख्यमंत्री शिवराज राज्य के बच्चों के बीच मामा के नाम से प्रसिद्ध है. इसके अलावा उनके पांव-पांव वाले भैया के रूप में भी जाना जाता है। पांव-पांव वाले भैया उन्हें इसलिए कहा जाता था क्योंकि जब वो सांसद बने तब कांग्रेस की सरकार थी. इसलिए उन्होंने राज्य में कई पदयात्राएं की थी। यही वजह रही कि वो विदिशा संसदीय क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से भी पहचाने जाने लगे।

राजनीतिक करियर

1972 – 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये।
1975 – मॉडल स्कूल छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये।
1975 – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे।
1976 – आपातकाल के विरुद्ध भूमिगत आंदोलन में भाग लिया और कुछ समय के लिए भोपाल जेल में कैद रहे।
1977 – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने।
1980 – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव
1982 – अखिल भारतीय विद्यार्थी की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य
1984 – भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव रहे।
1985 – भाजयुमो महासचिव
1988 – युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
1990 – बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने।
1991 – विदिशा का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य।
1991 – अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक।
1992 – अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने
1992 – भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव नियुक्त।
1992 – मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति सदस्य नियुक्त।
1993 – 1996  श्रम और कल्याण समिति के सदस्य।
1994 – हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे।
1996 – 11 वीं लोकसभा में विदिशा से (दूसरी बार) संसद सदस्य के रूप में पुनः निर्वाचित।
1996 – शहरी और ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति, हिन्दी सलाहकार समिति एवं श्रम और कल्याण समिति के सदस्य नियुक्त ।
1997 – शहरी एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य।
1997 – मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश महासचिव ।
1998  – प्राक्कलन समिति, 1999-2000 में कृषि समिति तथा वर्ष 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
1994 – वर्ष 2000 तक हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य।
1999 – विदिशा से चौथी बार 13 वीं लोक सभा के लिये सांसद निर्वाचित हुए।
2000 – भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
2005  – भाजपा मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष।
2019 – भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष।

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