Supreme Court ने महुआ मोइत्रा की लोकसभा से निष्कासन याचिका पर सुनवाई को 3 जनवरी, 2024 तक की स्थगित

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Supreme Court ने महुआ मोइत्रा की लोकसभा से निष्कासन याचिका पर सुनवाई को 3 जनवरी, 2024 तक की स्थगित

Supreme Court ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा से निष्कासन याचिका पर सुनवाई 3 जनवरी, 2024 तक के लिए स्थगित कर दी।

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Highlights:

  • 13 दिसंबर को ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान उनकी रिट याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई गयी
  • पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से की सांसद रहीं सुश्री मोइत्रा
  • लोकसभा से निष्कासित करने के फैसले को अन्यायपूर्ण और मनमाना’ और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया
  • भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुश्री मोइत्रा पर रुपए लेकर लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी कि उसे इस मामले से संबंधित दस्तावेजों को पढ़ने का समय नहीं मिला। वह इस मामले में तीन जनवरी को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत के समक्ष सुश्री मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने 13 दिसंबर को ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान उनकी रिट याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी।

पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से की सांसद रहीं सुश्री मोइत्रा ने सोमवार को याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने लोकसभा से निष्कासित करने के फैसले को अन्यायपूर्ण, अन्यायपूर्ण और मनमाना’ और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया है।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे ने सुश्री मोइत्रा पर रुपए लेकर लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। उनकी शिकायत पर इस मामले में संसद की आचार समिति ने जांच की। समिति की सिफारिश पर आठ दिसंबर को लोकसभा में सुश्री मोइत्रा को निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इसके साथ ही उनकी सदस्यता चली गई थी।

श्री दुबे ने सुश्री मोइत्रा पर व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर प्रतिद्वंद्वी अडानी समूह की कंपनियों के संबंध में संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। श्री दुबे ने सुश्री मोइत्रा के पूर्व मित्र वकील जय अनंत देहाद्राई के हलफनामे के आधार पर शिकायत दर्ज कराई थी। समिति ने श्री हीरानंदानी के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाया था।

 

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