Ranchi: रांची में रविवार को इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की संयुक्त रैली हो रही है। इसे ‘उलगुलान’ रैली का नाम दिया गया है। इसके मतलब को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया है। आईये इसके अर्थ और महत्व को समझतें हैं।
Highlights:
- इंडिया गठबंधन ने JMM की नेतृत्व में रांची में आयोजित रैली को ‘उलगुलान’ नाम दिया है
- आदिवासी समाजिक सभ्यता में काफी पवित्र और अहम शब्द है ‘उलगुलान’
- बिरसा मुंडा से जुड़ा हैं इसका इसका इतिहास
दरअसल, उलगुलान जनजातीय भाषा-संस्कृति का शब्द है। ऐतिहासिक संदर्भों में इसका उपयोग आदिवासी अस्मिता एवं जल, जंगल, जमीन पर होने वाले हमलों के खिलाफ विद्रोह या क्रांति के लिए किया जाता रहा है।
चूंकि आदिवासी मूल रूप से प्रकृति पूजक होते हैं और जल, जंगल, जमीन प्रकृति के घटक हैं, इसलिए इससे जुड़े उलगुलान शब्द को भी इनकी संस्कृति में बेहद पवित्र माना जाता है।
सबसे पहले बिरसा मुंडा ने किया था इसका ऐलान
मुंडा विद्रोह को ‘उलगुलान’ या ‘महान विद्रोह’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था। मुख्य विद्रोह 1899-1900 में रांची के दक्षिण क्षेत्र में हुआ। विद्रोह का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को भगाना और मुंडा राज स्थापना करना था। आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में अंग्रेजी हुकूमत और उनके द्वारा पोषित साहूकारों-सूदखोरों के अत्याचारों को खदेड़ने के लिए भी किया था।
हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी को आदिवासी-स्मिता से जोड़ रही JMM
अब रैली के लिए उलगुलान शब्द के इस्तेमाल पर विवाद खड़ा हो गया है। रैली की मेजबानी कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा की कोशिश है कि वह राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को आदिवासी अस्मिता पर हमले के तौर पर प्रचारित करे और लोकसभा चुनाव में भावनात्मक मुद्दे के रूप में इसे भुनाए।
और यही वजह है कि रैली के मुख्य मंच पर हेमंत सोरेन को जेल की सलाखों के भीतर दर्शाती एक बड़ी तस्वीर रखी गई है और जगह-जगह पर मोटे अक्षरों में उलगुलान शब्द लिखा गया है।
झारखंडियत की रक्षा के लिए हमने उलगुलान किया है- कल्पना सोरेन
हेमंत सोरेन की पत्नी और रैली की मुख्य मेजबान कल्पना सोरेन ने इस रैली को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा, यह देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता के लिए, अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में बंद जननेताओं की रिहाई के लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए झारखंड और झारखंडियत की रक्षा के सवालों के लिए उलगुलान है। भाजपा ने रैली के लिए उलगुलान शब्द के इस्तेमाल पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है।
👉🏽 देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए
👉🏽 संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता के लिए
👉🏽 अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में बंद जननेताओं की रिहाई के लिए
👉🏽 जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए
👉🏽 झारखण्ड और झारखण्डियत की रक्षा के लिए
👉🏽 1932 खतियान के लिए
👉🏽 सरना आदिवासी धर्म कोड के… pic.twitter.com/AAKCMzIT3z
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 19, 2024
JMM उलगुलान का जैसे पवित्र शब्द को नुकसान पहुंचा रही – भाजपा
झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, आदिवासी समाज की जमीनों और उनके संसाधनों को लूटने और तबाह करने वाले उलगुलान जैसे पवित्र शब्द का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं? इंडी गठबंधन के साथियों को इतिहास में झांककर उलगुलान विद्रोह के बारे में पढ़ना चाहिए। भाजपा नेता ने आगे कहा कि उलगुलान विद्रोह मूल निवासियों के संसाधनों, उनकी जमीनों, उनके अधिकारों को जमीदारों और साहूकारों द्वारा छीने जाने के विरोध स्वरूप उत्पन्न हुआ था। आज इंडी गठबंधन उन्हीं साहूकारों और जमीदारों की तरह आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पकर उलगुलान जैसे शब्द का राजनीतिकरण कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।