चाईबासा : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि ज्ञान आधारित युग में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता एवं चुनौती होनी चाहिये। हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहें हैं। सिर्फ सरकार के भरोसे यह कार्य संभव नहीं है आप गुरुजनों का इस कार्य में योगदान अपेक्षित है।
आप ऐसी शिक्षा दें जिससे छात्रों में चरित्र और संस्कार का विकास हो। ज्ञान, भावना और क्रिया में समायोजन कर शिक्षा रूपी संजीवनी का संचार आप बच्चों में करें। वे आज चाईबासा में पदमावती जैन सरस्वती शिशु विद्यामन्दिर के माधव सभागार में विद्या भारती विद्यालय द्वारा ‘प्रांतीय प्रधानाचार्य की बैठक’ में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। श्री दास ने कहा कि गुलाम भारत के बाद से भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का षडयंत्र होता रहा।
राष्ट्र विरोधी शक्तियां लगातार इसे नष्ट करने के लिये प्रयास कर रहीं हैं। यह अब अशिक्षा की वजह से हो रहा है। ऐसी शक्ति सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय है। विद्या भारती जैसी संस्था ऐसे अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा का संचार करें राज्य सरकार हर संभव सहायता करेगी। ऐसे क्षेत्र में जनजाति समाज को जगाने की जरूरत है। उनमें संस्कृति, संस्कार, बुद्धि और शक्ति का विकास हो ऐसी शिक्षा दें।
इस अवसर पर सांसद पूर्वी सिंहभूम श्री लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि विद्या भारती बच्चों का संस्कार और शिक्षा दे रही है। समाज और राष्ट्र निर्माण में लगे लोगों को हमसब अपना सहयोग प्रदान करें और जो अदृश्य शक्ति लोगों को गुमराह करने का कार्य कर रही है उसका जवाब देश और राष्ट्र के कर्णधारों को संस्कारी और चरित्र वान बना कर दें। विकास भारती के राष्ट्रीय मंत्री प्रकाश चंद्र ने कहा कि राज्य सरकार राज्य के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य कर रही है। आज जन मानस की सोच बदल रही है।
शिक्षा के साथ संस्कार देना जरूरी है। समिति 2025 तक सम्पूर्ण रास्ट्र व समाज की प्रगति के उद्देश्य के साथ कार्य कर रही है। इस अवसर पर सांसद पूर्वी सिंहभूम लक्ष्मण गिलुवा, विकास भारती समिति के रास्ट्रीय मंत्री प्रकाश चंद्र, अध्यक्ष रामअवतार नरसरिया, विकास भारती समिति के प्रदेश मंत्री लालधारी सिंह, समिति के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सचिव दिलीप कुमार झा व अन्य मौजूद थे।