पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने सोमवार को राज्य के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अलिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की जिम्मेदारी राज्यपाल के बजाय मुख्यमंत्री को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
शिक्षा व अन्य विभागों से जुड़े विधेयक पहले ही पारित किए जा चुके हैं
कैबिनेट के एक सदस्य ने कहा राज्य के शिक्षा, कृषि और पशुपालन और मत्स्य विज्ञान विभागों के तहत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के लिए कुलाधिपति राज्यपाल के बजाय मुख्यमंत्री को बनाने के लिए विधानसभा में विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं।
समवर्ती सूची का विषय इसलिए राज्यपाल की मंजूरी जरूरी
नियमों के अनुसार, विधेयक राज्यपाल जगदीप धनखड़ के कार्यालय में उनकी मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे। राज्यपाल के पास तीन विकल्प होंगे – सहमति देना, पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार को वापस भेजना या राष्ट्रपति को भेजना, क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है।
राज्यपाल की सहमति नही मिली तो राज्य सरकार बदलाव का अध्यादेश लाकर कानून लागू करेंगी – ब्रत्य बसु
शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने हालांकि कहा है कि यदि राज्यपाल विधेयकों पर अपनी सहमति नहीं देते हैं तो राज्य सरकार अध्यादेश लाकर बदलाव को लागू करेगी। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हालांकि कहा है कि वह इस बदलाव को रोकने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उन्होंने कहा, मैं राज्यपाल से ये विधेयक केंद्र सरकार को भेजने का अनुरोध करूंगा, क्योंकि यह मसला शिक्षा समवर्ती सूची से संबंधित है।
विधेयक की शिक्षाविदों ने कि आलोचना
शिक्षाविदों के एक बड़े वर्ग और नागरिक समाज के सदस्यों ने भी राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की जिम्मेदारी राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को देने के फैसले की आलोचना की है। उनमें से कई का मत था कि न तो राज्यपाल और न ही मुख्यमंत्री, बल्कि प्रतिष्ठित और प्रशंसित शिक्षाविदों को कुलाधिपति नियुक्त किया जाना चाहिए।