राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने खारघर में ‘महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार’ समारोह के दौरान या बाद में ‘लू’ लगने से हुई मौतों की न्यायिक जांच की बृहस्पतिवार को मांग की।
मौतों के लिए राज्य सरकार की ‘उदासीनता’ जिम्मेदार
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता पवार ने यह मांग उस वक्त की जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 14 लोगों की मौत की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) नितिन कीर की एक-सदस्यीय समिति नियुक्त की। पवार ने कहा कि इन मौतों के लिए राज्य सरकार की ‘उदासीनता’ जिम्मेदार है। सरकार के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
घटना के दौरान भगदड़ के कारण मौतें
उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस को पत्र लिखकर उनसे एक सेवानिवृत न्यायाधीश द्वारा जांच कराये जाने के निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शुरुआत में बताया गया था कि ‘लू’ लगने से 14 लोगों की मौत हो गई, लेकिन बाद में कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 16 अप्रैल की घटना के दौरान भगदड़ के कारण मौतें हुईं। सामाजिक कार्यकर्ता अप्पासाहेब धर्माधिकारी को नवी मुंबई के खारघर इलाके में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार ‘महाराष्ट्र भूषण’ प्रदान किया गया।
एंबुलेंस समय से मौके पर नहीं
उन्होंने कहा, लोगों को सात घंटे तक पानी और भोजन नहीं मिला। चूंकि भीड़ नियंत्रण की कोई योजना नहीं थी, इसलिए एंबुलेंस समय से मौके पर नहीं पहुंच सकी। भीषण गर्मी के बावजूद, समारोह खुले में आयोजित किया गया था। एक कंपनी, जिसे इस तरह के आयोजनों का कोई पूर्व अनुभव नहीं था, उसे काम दिया गया, जिसमें 14 करोड़ रुपये खर्च किए गए।पवार ने कहा कि मरने वालों की संख्या 14 से अधिक हो सकती है, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
मौतें प्राकृतिक नहीं
उन्होंने कहा कि ये प्राकृतिक मौतें नहीं थीं, बल्कि सरकार की उदासीनता के कारण हुई थीं, इसलिए सरकार पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने मृतक के परिजनों को 20-20 लाख रुपये की मुआवजा देने की मांग की। पवार ने कहा कि घायलों को मुफ्त इलाज और पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।