मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा गिरफ्तार सॉफ्टवेयर कंपनी अस्मो के तीन अधिकारियों को एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को तीन दिनों के लिए पुलिस हिरासत में दे दिया। ईओडब्ल्यू के अनुसार, ई-टेंडरिंग मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर भोपाल के मानसरोवर स्थित ओस्मो सॉफ्टवेयर कंपनी के कार्यालय पर छापा मारा गया और कंपनी के तीन अधिकारियों वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी व सुमित गोलवलकर को गिरफ्तार किया गया।
तीनों को शुक्रवार को ईओडब्ल्यू के विशेष न्यायालय के सत्र न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में कंप्यूटर इमर्जेसी रेस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) की रपट से गड़बड़ी की बात सामने आई थी। इसके बाद बुधवार को ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की।
गुरुवार को ईओडब्ल्यू के दल ने मानसरोवर स्थित ओस्मो फॉउंडेशन के दफ्तर पर दबिश दी और तीन अधिकारियों को हिरासत में लेने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएईडीसी) के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के संचालन का काम सॉफ्टवेयर कंपनियों के पास था। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ई-टेंडरिंग घोटाले ने तूल पकड़ा था।
तब यह बात सामने आई थी कि सॉफ्टवेयर कंपनियों के सहारे टेंडर हासिल करने वाली निर्माण कंपनियों ने मनमाफिक दरें भरकर अनधिकृत रूप से दोबारा निविदा जमा कर दी। इससे टेंडर चाहने वाली कंपनी को मिल गया। ईओडब्ल्यू ने सीईआरटी की रपट के आधार पर मामला दर्ज किया। ईओडब्ल्यू का मानना है कि लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ई-टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्य और तकनीकी जांच में पाया गया है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मप्र सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक टेंडर कुल मिलाकर नौ टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई। इसके जरिए सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है।