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कश्मीरी पंडित 29 साल बाद घाटी लौटा, कहा कश्मीरी जैसी कोई जगह नहीं

मावा ने कहा कि 13 अक्टूबर 1990 को उन्हें उनकी दुकान पर चार गोलियां मारी गई थी, जिसके बाद वह कश्मीर छोड़ कर दिल्ली में बस गए थे। 

साल 1990 में अज्ञात बंदूकधारियों ने जिस कश्मीरी पंडित को चार गोलियां मारी थी और उन्हें घाटी को छोड़ना पड़ा था, वह 29 साल के बाद अपनी सरजमीन पर लौट आए हैं और बुधवार को श्रीनगर में अपना कारोबार शुरू किया। रोशन लाल मावा ने कहा कि कश्मीर जैसी कोई जगह नहीं है। वाणिज्यिक केंद्र ज़ाइनाकदल में कश्मीरी मुस्लिम व्यापारियों ने मावा का जबर्दस्त स्वागत किया।

कारोबारियों ने ‘दस्तारबंदी’ से उन्हें सम्मानित किया। मावा ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। मैंने पूरे देश में यात्रा की है लेकिन कश्मीर जैसी कोई जगह नहीं है। कश्मीरियत जिंदा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कश्मीरी मुस्लिमों और पंडितों में भाईचारा ज्यों का त्यों बरकरार है।’’ मावा ने कहा कि 13 अक्टूबर 1990 को उन्हें उनकी दुकान पर चार गोलियां मारी गई थी, जिसके बाद वह कश्मीर छोड़ कर दिल्ली में बस गए थे।

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