कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को कहा कि पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बारे में टिप्पणी करने से पार्टी नेताओं को परहेज करना चाहिए। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब पिछले दिनों पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने अध्यक्ष पद के चुनाव में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुलकर समर्थन किया था और लोकसभा सदस्य शशि थरूर पर निशाना साधा था। वल्लभ के बयान बाद पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने नसीहत दी थी कि सभी प्रवक्ता उम्मीदवारों के संदर्भ में टिप्पणी से परहेज करें।
सिंघवी का ट्वीट, जय़राम रमेश से सहमत हूं
सिंघवी ने ट्वीट किया, ‘‘जयराम रमेश से पूरी तरह सहमत हूं। कांग्रेस के साथियों को पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वालों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। हमें निष्पक्ष सोच वाली अभिव्यक्ति की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहिए। पार्टी ने हमेशा इसकी पैरोकारी की है।’’
बीमारी के दौरान सोनिया गांधी को लिखा था खत, इसलिए गहलोत का करेंगे समर्थन
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच मुकाबले की बढ़ती संभावना के बीच पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने बृहस्पतिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री का खुलकर समर्थन किया था। गौरव वल्लभ ने इसके साथ ही थरूर को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें पत्र लिखकर उन (वल्लभ) जैसे कार्यकर्ताओं को कष्ट पहुंचाया और इसलिए वह गहलोत का समर्थन करेंगे।
इसके बाद रमेश ने पार्टी के प्रवक्ताओं एवं संचार विभाग के अन्य पदाधिकारियों से कहा था कि वे अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बारे में किसी भी तरह की टिप्पणी से परहेज करें।
आपको बता दे की गौरव बल्लभ ने थरूर पर खुलेआम सोनिया गांधी को पत्र लिखकर परेशान करने का आरोप लगाया था, इसलिए वह (गौरव बल्लभ ) अशोक गहलोत का समर्थन करेंगे । अशोक गहलोत ही पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए सबसे प्रबल दावेदार हैं, क्योंकि वह गांधी परिवार के वफादार हैं। शशि थरूर कांग्रेस के G-23 के सक्रिय सदस्य रहे हैं। यह ग्रुप गांधी परिवार के नेतृ्त्व के खिलाफ आवाज उठाता रहा हैं , और साथ ही कांग्रेस को लोकतांत्रिक रूप से चुनाव कराने के लिए नसीहत दी थी । लेकिन अशोक राजस्थान के साथ कई राज्यों में अपना प्रभाव रखते हैं, और वह कांग्रेस में भी काफी लोकप्रिय हैं। जिसके चलते गहलोत का चुनाव जीतना आसान हैं।