उत्तराखंड में गुलदार और बाघ के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है। इसको लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग को आवश्यक निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गंभीर चिंता प्रकट की है। उन्होंने गुलदार और बाघों के हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वन सचिव एवं वन्यजीव प्रतिपालक को प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
- हमलों को रोकने में वन विभाग बेबस
- जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क
- वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट
क्विक रिस्पांस टीम गठित
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में विभाग को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए और प्रशिक्षित वनकर्मियों की क्विक रिस्पांस टीम गठित कर उसे तत्काल मौके पर भेजा जाए। जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए गांव और जंगल की सीमा पर सोलर फेंसिंग (तार बाड़) लगाई जाए।
हमलों को रोकने में वन विभाग बेबस
सीएम धामी ने कहा कि लंबे समय से यह देखने में आ रहा है कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में वन्य जीवों के हमलों को रोकने में वन विभाग बेबस हो रहा है। इसे दृष्टिगत रखते हुए इन घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाए। प्रशिक्षित पशु चिकित्सक मानव वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से इलाक़ों में चौबीस घंटे तैनात रहें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर गुलदार और बाघों से भरे पड़े हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क
अब, वहां अन्य पकड़े गए वन्य जीवों को रखने की जगह नहीं है, लिहाजा इसके लिए भी तुरंत कार्ययोजना बनाई जाए। राज्य के रेस्क्यू सेंटर के गुलदार और बाघों को दूसरे राज्यों के चिड़ियाघर, वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट करने के लिए वहां के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि यह समस्या हल हो सके।
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