शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा Babri Masjid को लेकर की गई टिप्पणी के जवाब में पंजाब की पूर्व मंत्री Prof. Laxmikanta Chawla ने कहा कि बादल को बाबरी मस्जिद समर्थकों की हार से उदास नहीं होना चाहिए।
Highlights:
- श्री बादल ने बयान दिया था कि मुसलमान 18 प्रतिशत होने के बावजूद भी संगठित नहीं
- याद रखना होगा कि न यह लड़ई किसी ने जीती है, न कोई हारा है- Prof. Chawla
- औरंगजेब के जुल्म संगठित मुस्लिम शक्ति का भयानक नमूना था- Prof. Chawla
उल्लेखनीय है कि श्री बादल ने बयान दिया था कि मुसलमान 18 प्रतिशत होने के बावजूद भी संगठित नहीं, इसलिये बाबरी मस्जिद की लड़ई हार गये। प्रो चावला ने कहा कि श्री बादल को याद रखना होगा कि न यह लड़ई किसी ने जीती है, न कोई हारा है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान सभी पक्षों ने किया और शांतिपूर्वक हल निकल आया। राम मंदिर का भी निर्माण हो गया और मस्जिद बनाने के लिये भी सरकार ने अयोध्या में ही जमीन दे दी है, पर श्री बादल को यह बताना होगा कि यह मुसलमानों की संगठित शक्ति ही थी, जिसके कारण आज हम अपने गुरु पुत्रों को नींवों में चिनवाने का शहीदी दिन मना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि औरंगजेब के जुल्म संगठित मुस्लिम शक्ति का भयानक नमूना था, जिसे हमारे करोड़ देशवासियों ने भुगता। उन्होंने पूछा कि बाबा बंदा बहादुर जी का बंद किसने कटवाया था। बंदा बहादुर के पुत्र को उसकी गोद में ही काटकर उसका कलेजा बंदा बहादुर के मुंह में किसने डलवाया था। श्री गुरु तेग बहादुर जी को दिल्ली के चांदनी चौक में इसी विदेशी आक्रांताओं की शक्ति का ही दुष्परिणाम था। भाई मती दास, सती दास, भाई दयाला किसकी क्रूरता से शहीद हुये। मोतीराम मेहरा को जिन्होंने पूरे परिवार समेत कोल्हू में पीस दिया उसके लिये आंसू बहाने वाले सुखबीर बादल को सोचना चाहिये कि उसे क्या नाम दिया जाये।
प्रो चावला ने कहा कि सिख संगठित भी हैं, सिख भारत की शक्ति है। देश का गौरव है, लेकिन श्री बादल जब उनके लिये आंसू बहाते हैं, जो बाबरी मस्जिद के पैरोकार थे, तो संदेह पैदा होता है कि चुनावों के निकट श्री बादल और कहां तक जा सकते हैं। श्री बादल से इतना ही कहना है कि जो मन में है, सीधी बात करो। घूंघट निकालकर मत नाचिये और देश की जनता अब इस वक्तव्य से समझ गयी है कि श्री बादल चुनावी लड़ई लड़ने के लिये किस सीमा तक जा सकता है।
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