राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर Ashok Gehlot ने दी प्रतिक्रिया, समारोह को बताया राजनीतिक कार्यक्रम Ashok Gehlot Reacted On Ram Mandir Pran Pratistha, Called The Ceremony A Political Event

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर Ashok Gehlot ने दी प्रतिक्रिया, समारोह को बताया राजनीतिक कार्यक्रम

Ashok Gehlot

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बुधवार को दावा किया कि अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन एक राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में हुआ और वहां मंच से दिये गये भाषण खतरनाक थे। उन्होंने यह भी सवाल किया कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा, अमित शाह और राजनाथ सिंह इस समारोह में क्यों नहीं गए ? अशोक गहलोत ने यहां संवाददाताओं से कहा, यह भी रहस्य है कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न तो भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा थे, न केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह थे न केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी थे। राजनाथ सिंह तो उत्तर प्रदेश के ही हैं। भाजपा के ही तमाम नेता वहां क्यों नहीं गए? उन्होंने कहा कि आयोजन के तरीके, राजनीतिक कार्यक्रम, मंच से दिए गए भाषण के बाद साफ हो जाता है कि मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी वहां क्यों नहीं गईं?

  • अशोक गहलोत ने प्राण प्रतिष्ठा आयोजन को एक राजनीतिक कार्यक्रम बताया
  • उन्होंने मंच से दिये गये भाषण को खतरनाक बताया
  • उन्होंने सवाल किया नड्डा, अमित शाह और राजनाथ सिंह समारोह में क्यों नहीं गए
  • इसमें चारों शंकराचार्य भी आते तो सरकार सहित देश की शोभा बढ़ती

मंच से दिए गए भाषण खतरनाक- अशोक गहलोत

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उन्होंने कहा, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम धार्मिक व सांस्कृतिक मूल्यों व विधियों से बहुत अच्छा कार्यक्रम हो सकता था। इसमें चारों शंकराचार्य भी आते तो प्रधानमंत्री की, सरकार की और देश की शोभा बढ़ती। लेकिन धर्माचार्यां व शंकराचार्यों की अनदेखी की गई जो अच्छी परंपरा नहीं है। अशोक गहलोत ने कहा कि इस अवसर पर मंच से दिए गए भाषण बहुत खतरनाक थे और बुद्धिजीवी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये भाषण देश को किस दिशा में ले जाएंगे।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर बोले गहलोत

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उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा को बाधित करने के लिए असम में भाजपा सरकार पर भी हमला किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, भारत जोड़ो न्याय यात्रा ऐतिहासिक यात्रा है। इसे बाधित करने का प्रयास किया गया है। असम के मुख्यमंत्री ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया जबकि किसी भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को सीधे पुलिस या अधिकारी को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहने का अधिकार नहीं है। यह काम CRPC के तहत थानाधिकारी द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा, यह इस शानदार यात्रा को बाधित करने का षड्यंत्र है और मैं इसकी घोर निंदा करता हूं। ये कितनी भी कोशिश कर लें, राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता डरने वाले नहीं हैं।

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