पहली बार देश में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी ज्यादा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

पहली बार देश में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी ज्यादा

भारत में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है. राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई हैं।

भारत में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है. राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण  के अनुसार, देश में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई हैं। आजादी के बाद पहली बार ये रिकॉर्ड बना है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1000 से अधिक हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि लिंगानुपात 1000 को पार कर जाने के साथ ही हम कह सकते हैं कि भारत विकसित देशों के समूह में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय महिला सशक्तिकरण के लिए किए गए उपायों जैसे वित्तीय समावेश और लैंगिक पूर्वाग्रह तथा असमानताओं से निपटने आदि को है।
जन्म के समय का लिंगानुपात भी 2019-20 में 929 हो गया जो 2015-16 में 919 था। यह उठाए गए विभिन्न कदमों और संबंधित कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।वर्ष 2005-06 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण -3 में यह अनुपात 1000:1000 था जो 2015-16 (एनएचएफएस-4) में घटकर 991:1000 पर आ गया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत एवं 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य विषयों के प्रमुख संकेतकों से जुड़े तथ्य एनएफएचएस -5 के चरण दो के तहत 24 नवंबर को जारी किए।पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एनएफएचएस-5 के तथ्य दिसंबर, 2020 में जारी किए गए थे। एनएफएचएस-5 के अनुसार, देश में 88.6 प्रतिशत जन्म (सर्वेक्षण से पहले के पांच साल में) अस्पताल में हुए। अधिकारियों ने कहा कि एनएफएचएस -4 (78.9 प्रतिशत) के बाद से महत्वपूर्ण वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि भारत सार्वभौमिक संस्थागत जन्म की ओर बढ़ रहा है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि देश में कुल प्रजनन दर (प्रति महिला बच्चे) प्रजनन क्षमता के ‘प्रतिस्थापन’ स्तर पर पहुंच गई है, जो एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय उपलब्धि है। 2015-16 में कुल प्रजनन दर 2.2 थी जो 2019-21 में प्रति महिला 2.0 बच्चों तक पहुंच गयी है। इसका मतलब है कि महिलाएं अपने प्रजनन काल में पहले की तुलना में कम बच्चों को जन्म दे रही हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह परिवार नियोजन सुविधाओं के बेहतर उपयोग, देर से विवाह आदि को भी इंगित करता है। इसके साथ ही पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जन्म पंजीकरण बढ़कर 89.1 प्रतिशत हो गया है जो 2015-16 में 79.7 प्रतिशत था।

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