उन्मुक्त अभिव्यक्ति, सामाजिक उदारता और लिंग समानता जैसे विषयों को अपनी कलम के जरिये आवाज़ देने वाली प्रख्यात उर्दू लेखिका इस्मत चुगताई को आज उनके 107वें जन्मदिन पर सर्च इंजन गूगल ने अपना डूडल समर्पित किया है। खूबसूरत रंगबिरंगे डूडल में इस्मत चुगताई हाथ में कलम पकड़े हुए हैं और कुछ सोचती नजर आ रही हैं।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित इस्मत चुगताई समाज में महिलाओं के स्थान को लेकर आम नजरिये की मुखर आलोचक थीं। रूढ़िवादियों का कोपभाजन रहीं इस्मत की कई रचनाएं उनके, सुधारवादी और नारीवादी दृष्टिकोण की वजह से दक्षिण एशिया में प्रतिबंधित रहीं। जानेमाने उपन्यासकार मिर्जा अज़ीम बेग़ इस्मत चुगताई के बड़े भाई थे जिनसे प्रेरित हो कर इस्मत ने बहुत ही कम उम्र में लिखना शुरू कर दिया था।
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समलैंगिकता पर लिखी कहानी ‘‘लिहाफ़’’ को लेकर इस्मत चुगताई खासे विवादों में घिरीं। एक युवा लड़की की कहानी “लिहाफ़” में उच्च वर्गीय महिला और उसकी सहायिका के रिश्तों का चित्रण है। ब्लॉगपोस्ट में गूगल ने कहा है उनकी एक और प्रख्यात कहानी ‘गेंदा’ है। इसमें भी जाति व्यवस्था पर चोट की गई है।
इस्मत चुगताई का किरदार जाति प्रथा पर करारा प्रहार करता है और उस सामाजिक परंपरा पर भी तंज कसता है जिसमें विधवाओं के दोबारा प्रेम करने पर रोक है। इस्मत ने मध्यमवर्गीय सभ्रांतता, विभाजन, जातिगत टकराव सहित कई विषयों को अपनी कलम की धार पर लिया और उनकी रचनाओं में “काफ़िर”, “मेरा बच्चा”, “जड़ें”, “हिन्दुस्तान छोड़ दो” तथा “कच्चे धागे” जैसे नगीने शामिल हैं।
उनकी कई रचनाओं का अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ। इस्मत चुगताई ने बॉलीवुड की कई पटकथाएं भी लिखीं। यह शुरूआत 1948 में “जिद्दी” से हुई जिसने बॉक्स ऑफिस पर सफलता की कहानी लिखी थी। “फ़रेब” और “सोने की चिड़िया” से इस्मत ने फिल्म निर्देशन और निर्माण में भी हाथ आजमाया था।