सरकार ने शुक्रवार को चार राज्यों में 7,660 करोड़ रुपये की लागत से 780 किलोमीटर हरित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के विकास को मंजूरी दे दी।
यह परियोजना हरित राजमार्ग परियोजनाओं के क्षेत्र में नया मानदंड निर्धारित करेगी। इसके तहत सड़कों के आसपास पेड़-पौधे बढ़ाये जाएंगे और फिर से उपयोग होने वाली सामग्रियों का सड़क निर्माण आदि में उपयोग किया जाएगा।
परियोजना में विश्वबैंक की तरफ से हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना (जीएनएचपीसी) के तहत 3,500 करोड़ रुपये की सहायता शामिल है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने परियोजना से जुड़े पुनर्वास और उन्नयन तथा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश राज्यों में 780 किलोमीटर लंबे विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों कें खंडों को मजबूत बनाने की मंजूरी दी।
बयान के अनुसार परियोजना में कुल 7,662.47 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसमें विश्व बैंक से 3,500 करोड़ रुपये की कर्ज सहायता शामिल है। विश्वबैंक हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना (जीएनएचपीसी) के तहत यह कर्ज सहायता दे रहा है।
परियोजना में निर्माण की समाप्ति के बाद इन राष्ट्रीय राजमार्ग का 5 वर्ष से 10 वर्ष तक रखरखाव भी शामिल है।
परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्गों का सतत विकास और रखरखाव, संस्थागत क्षमता में बढ़ोतरी, सड़क सुरक्षा और अनुसंधान एवं विकास शामिल हैं।
इन परियोजनाओं का क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों पर विचार करने के बाद अच्छी और गुणवत्तापूर्ण सड़कें उपलब्ध कराने की जरूरत के आधार पर चयन किया गया है।
बयान के अनुसार इन खंडों का कार्य पूरा होने के बाद वाहनों की आवाजाही में लगने वाले समय में कमी आएगी। जनता के महत्वपूर्ण कार्य घंटों में भी बचत होगी। जनता की कार्य दक्षता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।