ओमिक्रॉन के खतरे को कितना कम करती है वैक्सीन की बूस्टर खुराक, विशेषज्ञों ने दी यह चेतावनी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

ओमिक्रॉन के खतरे को कितना कम करती है वैक्सीन की बूस्टर खुराक, विशेषज्ञों ने दी यह चेतावनी

वैश्विक महामारी कोरेाना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने के लिए पूरी दुनिया में बूस्टर डोज की रणनीति अपनायी जा रही है, मगर वैज्ञानिक भविष्य में सामने आने वाले संभावित वैरिएंट के खिलाफ इस रणनीति को स्थायी समाधान नहीं मानते।

वैश्विक महामारी कोरेाना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने के लिए पूरी दुनिया में बूस्टर डोज की रणनीति अपनायी जा रही है, मगर वैज्ञानिक भविष्य में सामने आने वाले संभावित वैरिएंट के खिलाफ इस रणनीति को स्थायी समाधान नहीं मानते। प्रतिष्ठित नेचर पत्रिका में प्रकाशित लेख में वैक्सीन विशेषज्ञों ने कहा है कि अब हमें बूस्टर पर काम करने के बजाय ऐसे टीके तैयार करने की दिशा में लगना चाहिए जो कि कोरोना के नए स्वरूपों से ज्यादा ताकत से लड़ सके।  
ओमिक्रॉन वैरिएंट ने बूस्टर को लेकर अब सोच बदल दी  
गौरतलब है कि अभी कई देशों में कोरोनारोधी टीके की चौथी डोज बतौर बूस्टर दी जा रही है। मैसाचुसेट्स स्थित रैगन इंस्टीट्यूट के एक प्रतिरक्षा विशेषज्ञ एलेजांद्रो बालाज का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट ने बूस्टर को लेकर अब सोच बदल दी है। 
पहले संक्रमण की चपेट में आए किसी व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा को टीका लगवा चुके व्यक्ति के बराबर समझा जाता था। मगर ओमिक्रॉन जैसे बेहद संक्रामक वैरिएंट के आने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पहले संक्रमित हो चुके व्यक्ति के शरीर में इतनी ज्यादा क्षमता नहीं है कि वह आगे भी संक्रमण से मजबूती से लड़ सकेगा। 
संक्रमण के मामले और अस्पतालों पर बोझ कम करने का प्रयास किया गया  
जैसे ही ओमिक्रॉन का प्रसार हुआ, वैक्सीन लगवा चुके लोगों के इम्युनिटी स्तर को बढ़ाने के लिए बूस्टर का इस्तेमाल शुरू हो गया। इस तरह संक्रमण के मामलों को घटाने और अस्पतालों पर बोझ कम करने का प्रयास किया गया जो कि एक हद तक सफल भी रहा। मगर बूस्टर डोज के एक साथ एक बड़ी चिंता यह है कि यह संक्रमण को बहुत लंबे वक्त तक रोक नहीं सकती। 
ब्रिटेन में साल 2021 के अंत तक एकत्र किए गए रियल वर्ल्ड डाटा से पता लगा कि बूस्टर से मिलने वाली प्रतिरक्षा डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ तेजी से घट सकती है। एक अन्य प्री-प्रिंट अध्ययन से पता लगा कि तीसरी बूस्टर डोज से मिलने वाली प्रतिरक्षा कुछ महीनों के भीतर ही उसी तरह घट जाएगी, जैसे पहले दो डोज से विकसित हुई प्रतिरक्षा। इस अध्ययन का कहना है कि यह प्रतिरक्षा अधिकतम चार महीने ही चलेगी। 
भविष्य के वैरिएंट पर बूस्टर खुराक कारगर नहीं 
ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय की संक्रामक प्रतिरक्षा विशेषज्ञ माइल्स डेवनपोर्ट का कहना है कि मौजूदा टीकों की बार-बार बूस्टर खुराक देने से भविष्य में पैदा होने वाले कोरोना के स्वरूपों के खिलाफ प्रतिरक्षा कम मिलेगी, यह रणनीति लंबी अवधि में कारगर नहीं है। बीते 11 जनवरी को डब्लूएचओ ने बूस्टर को लेकर दुनिया को चेताया था। डब्लूएचओ ने कहा कि मूल वैक्सीन संरचना की बार-बार बूस्टर खुराक लगाने की रणनीति एक उचित या टिकाऊ नहीं है।

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