भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में संशोधनों के लिए प्रक्रिया शुरू कर : सरकार - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में संशोधनों के लिए प्रक्रिया शुरू कर : सरकार

सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि लोगों को कम खर्च पर और त्वरित न्याय प्रदान करने तथा जनकेन्द्रित विधिक ढांचे का निर्माण करने के उद्देश्य से अपराध संबंधी कानूनों में व्यापक बदलाव लाने के मद्देनजर उसने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में संशोधनों के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि लोगों को कम खर्च पर और त्वरित न्याय प्रदान करने तथा जनकेन्द्रित विधिक ढांचे का निर्माण करने के उद्देश्य से अपराध संबंधी कानूनों में व्यापक बदलाव लाने के मद्देनजर उसने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य कानून में संशोधनों के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजीजू ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सदस्य विनय विश्वम के एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने अपराध संबंधी कानूनों में व्यापक संशोधनों के संबंध में राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों और प्रशासकों, देश के प्रधान न्यायाधीश, विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, बार काउंसिल व संसद सदस्यों से भी सुझाव मांगे हैं।
यी संसदीय समिति ने अपनी 146वीं रिपोर्ट में सिफारिश 
मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सुधारों पर सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में दो मार्च 2020 को एक समिति गठित की थी जिसने अनुपूरक अनुसंधान और विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के आधार पर अपनी वेबसाइट पर अपलोड प्रश्नावली के माध्यम से सुझाव आमंत्रित किए थे।
उन्होंने कहा कि समिति ने विभिन्न पक्षों के के साथ व्यापक परामर्श और विश्लेषण के बाद 27 फरवरी 2022 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए), 1872 पर अपनी सिफारिश प्रस्तुत की है।
विधेयक लाने की आवश्यकता पर बल दिया था
रिजीजू ने कहा कि गृह मंत्रालय संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने अपनी 146वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि देश की दंड न्यायिक प्रणाली की व्यापक समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व स्थायी संसदीय समिति ने अपनी 111वी और 128वीं रिपोर्टों में भी संबंधित अधिनियमों में टुकड़ों में संशोधन करने की बजाय संसद में एक व्यापक विधेयक लाने की आवश्यकता पर बल दिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one + 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।