भाजपा में शामिल होने के बाद हरियाणा के ऊर्जा मंत्री और रानियां से निर्दलीय विधायक चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा कार्यालय भेज दिया है। हालांकि उनके इस्तीफे को अभी स्वीकार नहीं किया गया है।
विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि उन्हें चौधरी रणजीत का इस्तीफा मिल चुका है। इस्तीफे का अध्ययन करने के बाद उस पर निर्णय लिया जाएगा। होली से ठीक एक दिन पहले रणजीत चौटाला ने भाजपा की सदस्यता ले ली थी। दल-बदल कानून के तहत कोई निर्दलीय विधायक अपने कार्यकाल के दौरान किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है तो उसे सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ता है। ऐसे में चौटाला को देर सवेर इस्तीफा देना ही पड़ता। पार्टी में शामिल होने के कुछ ही देर बाद भाजपा ने उन्हें हिसार से उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
Highlights
- भाजपा में शामिल हुए रणजीत चौटाला ने विधानसभा से दिया अपना इस्तीफा
- निर्दलीय विधायकों की नजर मंत्री पद पर लगी हुई है
- उपचुनाव की तरह रानियां में भी उपचुनाव
निर्दलीय विधायकों की नजर मंत्री पद पर लगी हुई है
चौटाला के इस्तीफा देने के बाद मंत्रिमंडल में एक सीट खाली हो गई। उनके इस्तीफे देने के बाद से कई निर्दलीय विधायकों की नजर मंत्री पद पर लगी हुई है। ऐसे में निर्दलीय विधायक और भाजपा के अन्य विधायक मंत्री पद हासिल करने के लिए लॉबिंग कर सकते हैं। विधानसभा में सीएम समेत कुल 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। रणजीत सिंह के इस्तीफे के बाद मंत्रियों की संख्या 13 हो गई है। ऐसे में अगर सरकार चाहेगी तो किसी को भी मंत्री पद सौंप सकती है। सैनी सरकार के गठन के समय सबसे ज्यादा उम्मीद निर्दलीय विधायकों को थी। ऐसे में उन्हें फिर से मौका मिल सकता है। वहीं, पूर्व गृहमंत्री अनिल विज की भी चर्चा है। हालांकि चौटाला जाट कोटे से मंत्री थे। ऐसे में सरकार किसी जाट विधायक को ही मंत्री बनाने को प्राथमिकता देगी।
उपचुनाव की तरह रानियां में भी उपचुनाव
रणजीत चौटाला के इस्तीफा देने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि क्या करनाल उपचुनाव की तरह रानियां में भी उपचुनाव होगा। चुनाव के जानकार व एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि नियम के मुताबिक किसी विधानसभा या लोकसभा सीट के खाली होने के बाद यदि एक साल से कम समय बचता है तो उस सीट पर चुनाव नहीं हो सकता। हालांकि पिछले दिनों सांसद नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद चुनाव आयोग ने करनाल उपचुनाव में विधानसभा घोषित किया था। इस पर हेमंत कुमार ने बताया कि यह अपवाद हो सकता है, क्योंकि नायब सिंह छह महीने तक मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं। उसके बाद दो महीने का समय और बचता था। इसलिए इस सीट पर उपचुनाव करवाना जरूरी था। उन्होंने अंबाला लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि यह सीट पिछले डेढ़ साल से खाली है, लेकिन चुनाव आयोग ने यहां उपचुनाव नहीं कराया।
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