इलाहाबाद उच्च न्यायालय : अदालत से तथ्य छिपाने वाले किसी तरह की राहत पाने के पात्र नहीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय : अदालत से तथ्य छिपाने वाले किसी तरह की राहत पाने के पात्र नहीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि जो लोग अदालत से प्रासंगिक तथ्य छिपाते हैं, वे किसी तरह की राहत पाने के पात्र नहीं हैं। अदालत ने इस मामले में जनहित याचिका खारिज करते हुए तथ्य छिपाने के लिए याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपये का हर्जाना लगाया।
शामली जनपद के अकबर अब्बास जैदी नाम के व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा, “यह सुस्थापित है कि जो वादी न्याय के शुद्ध झरने को अपने गंदे हाथों से स्पर्श करने का प्रयास करता है, वह किसी तरह की राहत, अंतरिम या अंतिम राहत पाने का पात्र नहीं है।

Highlights 

  • अदालत से तथ्य छिपाने वाले किसी तरह की राहत पाने के पात्र नहीं  
  • मौजूदा याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग  
  • याचिकाकर्ता ने प्रांसगिक तथ्य छिपाए 

मौजूदा याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग

अदालत ने 23 फरवरी को दिए अपने निर्णय में कहा, “हम इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हैं कि मौजूदा याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है और यह भारी हर्जाने के साथ खारिज किये जाने योग्य है ताकि कोई बेईमान व्यक्ति अपने निहित स्वार्थ के लिए जनहित याचिका की आड़ में न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग ना करे। याचिकाकर्ता ने अदालत से शामली के जिलाधिकारी को निजी प्रतिवादियों के कब्जे वाली भूमि से अवैध निर्माण और अनधिकृत कब्जे को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता ने प्रांसगिक तथ्य छिपाए

हालांकि, अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता ने प्रांसगिक तथ्य छिपाए। जैसे याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादियों के बीच विवादित संपत्ति को लेकर कई मुकदमे पहले से चल रहे हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत को समक्ष इस तथ्य के बारे में नहीं बताया था।

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