जब आप इस दुनिया की ख़ासियतों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं तभी आपको एहसास होता है कि यह कितनी अनोखी है। वे लोग पूरी तरह से ग़लत हैं जो ये दावा करते हैं कि उन्होंने हर सांसारिक रहस्य जान लिया है। हाल ही में एक मकड़ी की खोज इसका सबूत है। वैज्ञानिकों द्वारा एक नीली मकड़ी (Blue Spider Thailand) की खोज की गई है जो बिल्कुल नई प्रजाति है। इसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
कैसी है ये अनोखी मकड़ी?
रिपोर्टों के अनुसार, फैंग ना (Phang-Nga, Thailand) थाई प्रांत टारेंटयुला मकड़ी की एक नई प्रजाति का घर है जिसे (Electric Blue Tarantula) कहा जाता है। यह एक मकड़ी है जिसका रंग चमकीला नीला है। फेमस धारणा के अनुसार, जीवों में नीला रंग बहुत मुश्किल से मिलता है। डॉक्टर नैरिन चॉमफूफुआंग ने इस घटना के संबंध में एक बयान में कहा, हम मकड़ी की नई प्रजातियों की तलाश में लगे हुए थे। एक रात लो टाइड के समय, हमने इन दो मकड़ियों को देखा। मैंग्रोव जंगलों में इस मकड़ी को पेड़ के तने के अंदर छुपे हुए देखा गया था। इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम चिलोब्राचिस नटनिचारम (Chilobrachys natanicharum) है।
देखी गई चमकदार नीली मकड़ी
ऐसा माना जाता है कि प्रकृति में किसी चीज़ को नीला दिखाने के लिए, कुछ ऊर्जा को अवशोषित किया जाना चाहिए जबकि नीले प्रकाश से ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा रिफ्लेक्ट भी होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह टैरेंटुला बैंगनी रंग भी थोड़ा बहुत दिखता है, जो मकड़ी की चमकदार उपस्थिति का कारण बनता है। वैज्ञानिकों ने इस मकड़ी को इसके खास रंग के कारण “ज्वेल ऑफ द फॉरेस्ट” नाम दिया है।
कैसे हुआ नीला रंग?
ऐसा माना जाता है कि इस मकड़ी को कुछ समय से मकड़ियों के काले बाज़ार में खरीदा और बेचा जाता रहा है। इसका नाम इलेक्ट्रिक ब्लू स्पाइडर इसी से पड़ा है। ये मकड़ियाँ कथित तौर पर कुछ दुकानों में बिक्री के लिए हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नीले रंग के लिए पिगमेंटेशन नहीं बल्कि नेचुरल स्ट्रक्चरिंग जिम्मेदार है। आपको ये जानकारी दें कि टैरेंटुला मकड़ियाँ जहरीली नहीं होती हैं। चूंकि किसी भी रिपोर्ट में इस प्रजाति के जहरीले होने के बारें में कुछ नहीं बताया गया है इसलिए यह माना जा सकता है कि एकमात्र चीज जो उन्हें अन्य प्रजातियों से अलग बनाती है, वह उनका रंग है और वे जहरीली नहीं हैं।