यदि कोई व्यक्ति किसी तेंदुए को देखें तो वहां से नौ दो ग्यारह होने के बारे में ही सोचेगा, ना की वहां आराम से बैठा रहेगा। यदि उस व्यक्ति की जगह आप भी होते है तो शायद ये ही करेंगे। लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में एक ऐसी जनजाति है जो तेंदुओं की बीच रहती है? और सबसे बड़ी बात इस दौरान ना तेंदुए इंसानों को कुछ कहते है और ना ही इंसान तेंदुओं को देख कर इधर-उधर भागते है। आपको शायद अब भी हमारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा होगा। लेकिन ये सच है, यहां तेंदुओं ने इंसानों के साथ अपना घर बना रखा है।
100 सालों से रहते है साथ
इस गांव का नाम बेरा है, जो राजस्थान के पाली जिले में बसा है और जोधपुर व उदयपुर के बीच में पड़ता है। यह उदयपुर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। इस कस्बे में रबारी जनजाति के लोग रहते हैं। बताया जाता है, ये जनजाति चरवाहों की है और ये लोग हज़ारों साल पहले अफगानिस्तान के रास्ते इरान से होकर राजस्थान आ गए थे। लेकिन इस जनजाति और तेंदुओं के बीच ऐसा अब ऐसा सामंजस्य बना हुआ है कि ये साथ-साथ रहते हैं। आपको हैरानी होगी कि यहां एक-दो नहीं बल्कि करीब 10 गांवों में सैकड़ों तेंदुओं ने इंसानों के साथ 100 साल से रह रहे हैं।
तेंदुओं को मानते है रक्षक
रबारी जनजाति के लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं और इनका मानना है कि तेंदुए भगवान की ओर से भेजे गए उनके रक्षक है। वे कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते और लोग भी उन्हें प्यार करते हैं। दिलचस्प बात ये भी है कि अगर तेंदुए उनके मवेशियों को भी खा लें, तो उन्हें वे बलि समझकर माफ कर देते हैं।
तेंदुआ देख नहीं भागते लोग
कहा जाए तो यहां इंसान और तेंदुओं को एक-दूसरे की आदत लग चुकी है और ये ही कारण है कि यहां आने वाले सैलानी तेंदुए को देख कर भाग जाएं लेकिन इस गांव के लोग उन्हें देखकर आराम से बैठ रहते है क्योंकि उन्हें डर नहीं लगता है। बताया जाता है कि एक बार एक तेंदुआ बच्चे को मुंह में दबाकर ले गया था लेकिन फिर जंगल में जाने से पहले ही उसे छोड़ गया।