अभी देश में सावन का महीना चल रहा है और इस महीने में सभी शिव भक्त दिल लगाकर देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करते है। देश में कई शिवलिंग है जहां लोग भगवान को जल, दूध अर्पित करते है। महादेव का हर रूप निराला है, पर क्या आपको पता है कि शिव जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जो पूरे भारत में अपने आप का अकेला मंदिर है। दावा भी किया जाता है इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से शुरू होता है और आज भी कई कालों का गवाह बना है।
हमारा देश में पुराणों और प्राचीन ग्रंथों का पालन किया जाता है। आज की खबर में हम एक ऐसे मंदिर की बात करने वाले है, जो बिहार के जमुई में है। ये शिव मंदिर बेहद अनोखा है क्योंकि यहां के शिवलिंग की पूजा ऐसे तरीके से की जाती है जो देश के सभी शिवलिगों से अलग है। आपको बता दे कि प्रत्येक शिवलिंग पर त्रिपुंड तिलक लगाया जाता है, जो कि तिलक की तीन सीधी रेखाएं होती हैं।
इस त्रिपुंड शैव तिलक का उपयोग जमुई के मंदिर को छोड़कर सभी जगह भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है, जहां शिवलिंग पर वैष्णव तिलक लगाया जाता है। मंदिर के पुजारी पंकज पांडे के मुताबिक, यह देश का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है। पंकज पांडे ने कहा कि इस अलग तरह की पूजा का कारण रामायण काल से चला आ रहा है। मान्यता के अनुसार, यह मंदिर पक्षीराज जटायु की मृत्यु का स्थल था।
अपनी मृत्यु के समय पक्षीराज जटायु ने भगवान राम से वरदान मांगा था कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनका नाम अमर हो जाए। तब भगवान राम ने यहां जटायु की राख से एक शिवलिंग स्थापित किया था और उस पर वैष्णव तिलक लगाया था। तभी से युगों-युगों से इसी प्रकार शिवलिंग की पूजा होती आ रही है। प्रत्येक महा शिवरात्रि पर यहां भव्य मेला लगता है और भगवान शिव की भव्य बारात भी निकाली जाती है।
इस मंदिर परिसर के मध्य में एक कुआँ मौजूद है और इसकी भी एक दिलचस्प पृष्ठभूमि है। माना जाता है कि यहां का कुआं लक्ष्मण के बाण से निर्मित हुआ था। मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी, तब यहां जलाभिषेक के लिए पानी नहीं था। तब लक्ष्मण ने जमीन में तीर मारकर वहां पानी का एक कुआँ बना दिया था। बिहार के अलावा, झारखंड सहित कई अन्य राज्यों के लोग हर साल इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं।