एक ओर दशहरा की हफ्ते भर की छुट्टी के बाद उच्चतम न्यायालय में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई सोमवार को अंतिम चरण में प्रवेश कर जाएगी। वही दूसरी ओर इसे देखते हुए अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई है। बता दे कि जिलाधिकारी अनुज झा ने अयोध्या में धारा 144 लगाई है।
हालांकि अयोध्या में आने वाले दर्शनार्थियों और दीपावली महोत्सव पर धारा 144 का कोई असर नहीं होगा। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले धारा 144 लगाई गई है। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि आयोध्या मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को समाप्त होगी।
रामलला के दरबार में दीपोत्सव के आयोजन की अनुमति मांगेगा विहिप
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दरबार में दीपोत्सव मनाने संबंधी मांग पत्र परिसर के रिसीवर और अयोध्या के मण्डलायुक्त को सौंपेगा।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने रविवार को बताया कि विश्व हिन्दू परिषद का एक प्रतिनिधिमण्डल सोमवार को विवादित परिसर के रिसीवर एवं अयोध्या के मंडलायुक्त मनोज मिश्र से मिलेगा और उन्हे श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दरबार में दीपोत्सव मनाने की अनुमति देने संबंधी एक मांग पत्र सौंपेगा।
उन्होंने बताया कि विवादित परिसर में विश्व हिन्दू परिषद दीपोत्सव मनाना चाहता है। अगर श्रीरामजन्मभूमि परिसर के रिसीवर ने दीपोत्सव मनाने की अनुमति दे दी तो रामलला के दरबार में 5100 दीप जलाने की योजना है।
दीपोत्सव का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। प्रदेश सरकार ने यहां छोटी दीवाली यानी 26 अक्टूबर को आयोजित दीपोत्सव को प्रांतीयकृत मेला भी घोषित कर दिया है और उसके लिये बजट का आवंटन भी किया गया है।
श्री शर्मा ने कहा कि जब पूरे अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है तो विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दरबार में क्यों नहीं दीपोत्सव मनाया जा सकता है। दीपोत्सव के आयोजन का नाता सीधे प्रभु राम से ही है इसलिये उनके जन्मस्थान पर दीपोत्सव मनाना चाहिये।
विवादित श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द, दास ने इस बारे में कहा कि मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला के समक्ष और चारों ओर की बाहरी दीवारों पर दिये जलाये जाते हैं। लावा मिठाई इत्यादि का भोग लगाकर प्रसाद का वितरण किया जाता है लेकिन उन्हे दीवाली का कोई अतिरिक्त बजट नहीं मिलता है।
SC में अयोध्या मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर को अंतिम दौर में प्रवेश करेगी
उच्चतम न्यायालय में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई सोमवार को अंतिम चरण में प्रवेश कर जाएगी और न्यायालय की संविधान पीठ 38 वें दिन इस मामले की सुनवाई करेगी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस जटिल मुद्दे का सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिये मध्यस्थता प्रक्रिया के नाकाम होने के बाद मामले में छह अगस्त से प्रतिदिन की कार्यवाही शुरू की थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है।
पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
न्यायालय ने अंतिम चरण की दलीलों के लिये कार्यक्रम निर्धारित करते हुए कहा था कि मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी करेंगे और इसके बाद हिंदू पक्षकारों को अपना प्रत्युत्तर पूरा करने के लिये 16 अक्टूबर तक दो दिन का समय दिया जाएगा।
इस मामले में 17 नवंबर तक फैसला सुनाये जाने की उम्मीद है। इसी दिन प्रधान न्यायाधीश गोगोई सेवानिवृत्त हो रहे हैं।