दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह दिल्ली सरकार की अब निरस्त हो चुकी आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में कारोबारी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली को मिली जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भी आबकारी नीति से संबंधित कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि संबंधित पक्षों के वकीलों ने अपनी लिखित दलीलें सौंप दी हैं और मामले की सुनवाई अब 11 जनवरी को की जाएगी। उच्च न्यायालय को अवगत कराया गया था कि एक निचली अदालत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज मामले में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी नायर और बोइनपल्ली की जमानत याचिकाओं पर 12 और 13 जनवरी को दलीलें सुनेगी। इसने सीबीआई की याचिकाओं के साथ-साथ निचली अदालत के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर एजेंसी की अर्जी पर नायर और बोइनपल्ली का जवाब मांगा था।
नायर और बोइनपल्ली, हालांकि अब भी हिरासत में हैं, क्योंकि उन्हें सीबीआई मामले में जमानत मिलने के बाद ईडी द्वारा आबकारी नीति से संबंधित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था। जमानत के आदेश को चुनौती देते हुए सीबीआई के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा दिया गया हर तर्क कानून के लिहाज से ‘विकृत’ है। नायर के वकील ने पहले दलील दी थी कि जैसे ही उन्हें सीबीआई मामले में जमानत मिली, ईडी ने उन्हें धनशोधन मामले में गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई के वकील ने तर्क दिया था कि नायर के इशारे पर बड़ी रकम दिल्ली लायी गई थी और यहां 30 करोड़ रुपये बरामद किये गये थे, जबकि यह वादा किया गया था कि 100 से 150 करोड़ रुपये की राशि राजधानी में लायी जाएगी।सीबीआई के वकील ने कहा था, ‘‘हमें जांच करनी होगी कि उस नकदी का क्या किया जाना था। हमें यह देखना होगा कि उस नकदी का भुगतान करने वाले व्यक्ति को इससे क्या लाभ हुआ होगा।’’ दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था।