कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि सेवा से अवकाश ग्रहण करने के दिन न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की टिप्प्णी ने उच्च न्यायपालिका में सरकार के हस्तक्षेप के पार्टी के आरोपों को साबित कर दिया है और इस मामले की संसदीय और न्यायिक जांच करायी जानी चाहिए। विपक्षी दल ने सेवा से अवकाश लेने वाले दिन न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की सनसनीखेज टिप्पणी का हवाला देते हुए हस्तक्षेप का यह आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने अवकाश ग्रहण करने के दिन दावा किया था कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ‘‘बाहरी स्रोतों’’ के प्रभाव में काम कर रहे थे। न्यायमूर्ति जोसेफ ने हालांकि बाहरी स्रोत के बारे में और उन केसों के बारे में विस्तार से बताने से इंकार कर दिया जहां पूर्वाग्रह के कारण न्याय प्रभावित हुआ।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि न्यायपालिका के उच्चतम स्तरों में हस्तक्षेप पर उनकी पार्टी की गंभीर आशंका जस्टिस जोसेफ की टिप्पणियों से साबित हुई है। सिंघवी ने कहा, कुछ दिन पहले कार्यालय छोड़ने वाले उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश… ने स्पष्ट रूप से भारत की उच्चतम न्यायिक संस्था पर गंभीर खतरा बताया है।
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अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा, न्यायमूर्ति जोसेफ ने स्पष्ट रूप से और स्पष्ट शब्दों में मनमाने ढंग से पीठ के चयन, रिमोट कंट्रोल से बाहरी प्रभाव, भारत सरकार तथा सत्तारूढ़ दल द्वारा प्रणाली में राजनैतिक पूर्वाग्रह के बारे में बातचीत की।’’ इन आरोपों के बारे में भाजपा और सरकार की ओर से अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि कांग्रेस इस बात से चिंतित नहीं है कि न्यायिक अंग इस तरह की चीजों को कैसे देखता है क्योंकि यह इससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
कांग्रेस की चिंता सरकार द्वारा दी गई जिम्मेदारियों के बारे में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में जवाब मांगती है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में आरोप लगाया था कि यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार प्रधान न्यायाधीश को अपनी कठपुतली के रूप में इस्तेमाल कर रही थी। सिंघवी ने कहा, देश सही मायने में सही प्रकृति, वास्तविक हद, डिग्री और सरकार के हस्तक्षेप के विषय वस्तु को जानना चाहता है। हम सरकार द्वारा इस असंवैधानिक, आक्रामक और अवैध प्रयास की निंदा करते हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, सरकार अपने कुटिल चाल विभाग और सीबीआई, लोकपाल, सीआईसी, विश्वविद्यालयों और अब सुप्रीम कोर्ट जैसे निकायों के अबाध क्षरण के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा, मैं इसे दखल देने वाली सरकार कहूंगा। इसलिए हमें इस मामले में स्वतंत्र और अलग संसदीय तथा न्यायिक जांच की जरूरत है। यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग कर रही है, उन्होंने कहा: आखिरकार, जो संसदीय जांच होगी वह जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से ही होगी