सुप्रीम कोर्ट 35 देशों के 2700 से अधिक विदेशी जमातियों को दस साल के लिए ब्लैक लिस्ट किए जाने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के लिए यह मामला आया।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह लिए स्थगित कर दी जाए। पीठ ने मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुए इसे 24 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ थाईलैंड की एक गर्भवती महिला सहित 34 विदेशी नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
इससे पहले, दो जुलाई को सुनवाई के दौरान केंद्र ने इन याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया था। केंद्र ने दावा किया था कि उसने 2,765 विदेशी नागरिकों के वीजा रद्द करने और उन्हें ब्लैक लिस्ट में रखने के बारे में मामले दर मामले के आधार पर आदेश दिए थे।
केंद्र ने इस मामले में कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि उपलब्ध सूचना के अनुसार 11 राज्यों ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ 205 प्राथमिकी दर्ज की हैं और अभी तक 2,765 विदेशियों को ब्लैक लिस्ट में शामिल किया गया है। इनमें से 2,679 विदेशियों के वीजा रद्द किए गए हैं। इनमें नौ ओसीआई कार्ड धारक शामिल हैं।
हलफनामे में कहा गया कि शेष 86 में नेपाल के नागरिक शामिल हैं जिन्हें वीजा की जरूरत नहीं होती है। केंद्र ने यह भी कहा था कि तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों की तलाश में 1,906 लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए थे जबकि यह सर्कुलर जारी होने या फिर ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने की कार्यवाही से पहले ही 227 विदेशी भारत से लौट गए थे।
कोर्ट ने 29 जून को सरकार के दो अप्रैल और चार जून के आदेश के खिलाफ थाईलैंड की सात माह की गर्भवती नागरिक सहित 34 विदेशी नागरिकों की याचिकाओं पर गृह मंत्रालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।