भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के अभेद्य समझे जाने वाले किले पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की और 40.5 प्रतिशत मत हासिल किया। पार्टी के इस बेहतरीन प्रदर्शन में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, एनआरसी, तृणमूल के अंदर खींचतान और वाम मतों का उससे खिसकना जैसे कारक अहम रहे। भाजपा को 2014 में दो सीटें मिली थी और उसे कुल 17 प्रतिशत मत मिले थे।
लेकिन इस बार भाजपा ने न केवल राज्य में अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की बल्कि लगभग 130 विधानसभा क्षेत्रों में मतों के लिहाज से बढ़त बनाई। राज्य में दो साल बाद 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की। तृणमूल को 2014 में 34 सीटें मिली थी जो इस बार घटकर 22 रह गयी।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह तुष्टिकरण की ममता बनर्जी की राजनीति और कुशासन के खिलाफ वोट था। उन्होंने कहा कि यह अंतिम चरण से ठीक पहले का चरण है।
अंतिम चरण में बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी। भाजपा की राजनीतिक बहस ज्यादातर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के आसपास रही जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण हुआ। राज्य में मुसलमानों की आबादी करीब 27 प्रतिशत है। इसके अलावा घुसपैठियों को बाहर करने के लिए एनआरसी का वादा, धार्मिक रैलियों पर रोक, राज्य में कई सांप्रदायिक दंगों से सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा मिला।