दिल्ली नगर निगम के बकाया को लेकर केजरीवाल सरकार और बीजेपी के बीच इस समय आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर 31 दिसंबर तक का पूरा पैसा दिए जाने का का दावा किया है। वहीं आप ने इस मुद्दे पर बीजेपी के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि बीजेपी शासित एमसीडी ने कभी भी कोर्ट में दिल्ली सरकार से 13 हजार करोड़ रुपए दिलाने की मांग नहीं रखी है।
आप विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा, “बीजेपी सिर्फ एमसीडी में किए गए अपने भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए झूठ बोल रही है। अगर बीजेपी एमसीडी नहीं चला सकती, तो छोड़ दे और वेतन नहीं देकर कर्मचारियों की जिंदगी से खेलना बंद करे। अपनी सैलरी की मांग को लेकर बीजेपी शासित एमसीडी के डॉक्टर, नर्स, शिक्षक और अन्य कर्मचारी जो 5 महीने से हड़ताल पर थे, उनमें से कई विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तो कई कर्मचारी भूख हड़ताल पर थे। एक तरफ, वे लोग सड़क पर उतर कर पुलिस की लाठियां खा रहे थे और दूसरी तरफ बीजेपी शासित एमसीडी आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही थी।”
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पाठक ने कहा कि, “बीजेपी शासित एमसीडी इसमें पूरी तरह से विफल साबित हुई, तो उसने मजबूरी में कर्मचारियों को सैलरी दे दी। ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी शासित एमसीडी जानबूझ कर वेतन की समस्या को खड़ा कर रही है। पिछले कुछ महीनों से उन्होंने दोबारा कर्मचारियों को वेतन देना बंद कर दिया है। पता चला कि आने वाली 7 तारीख से एमसीडी के कर्मचारी फिर से हड़ताल पर जा रहे हैं।”
दुर्गेश पाठक ने आगे कहा कि, “मैं बीजेपी के नेताओं से कहना चाहता हूं कि वह इस तरह की गंदी राजनीति न करें। आपके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा तो है, लेकिन आप अरविंद केजरीवाल की सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। जब भी मीडिया, विपक्षी दल और एमसीडी के कर्मचारी बीजेपी के नेताओं से पूछते हैं कि आप वेतन क्यों नहीं दे रहे हैं। तो वे एक रटा हुआ जवाब देते हैं कि दिल्ली सरकार ने उनको पैसे नहीं दिए हैं। वे झूठ बोल देते हैं कि दिल्ली सरकार पर एमसीडी के 13 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि, “एमसीडी का पक्ष रखने वाले बीजेपी के वकील ने भी पूरी सुनवाई में कहीं जिक्र नहीं किया है कि दिल्ली सरकार पर एमसीडी के 13 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं। 31 दिसंबर तक के सारे पैसे दिल्ली सरकार ने एमसीडी को दे दिए हैं और इसके लिए हम ने अदालत में लिखित रूप में एफिडेविड जमा कराया है।”