बिहार के ग्रामीण इलाकों में लोकसभा चुनाव प्रचार में फसल कटाई के गीतों की धूम

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बिहार के ग्रामीण इलाकों में लोकसभा चुनाव प्रचार में फसल कटाई के गीतों की धूम

बिहार में फसल कटाई के इस मौसम में ग्रामीण, खेतिहर मजदूर एवं किसान मतदाताओं को लुभाने के लिए लोकसभा उम्मीदवार अपने चुनाव प्रचार अभियान के लिए फसल कटाई से जुडे स्थानीय गाने बजा रहे हैं बक्सर लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार एवं प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘फसल कटाई के इस मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार करते समय स्थानीय लोक गायकों, कटनी (फसल कटाई) के गीत गाने के लिये लोक गायकों की सेवा ले रहे हैं।

Highlights 

  • बिहार के ग्रामीण इलाकों में लोकसभा चुनाव प्रचार में फसल कटाई के गीतों की धूम  
  • कटाई का मौसम आम तौर पर अप्रैल में शुरू होता है 
  • बिहार में हर अवसर के लिए लोक गीत  

कटाई का मौसम आम तौर पर अप्रैल में शुरू होता है और 15 मई तक चलता है

रबी फसलों विशेषकर गेहूं की कटाई का मौसम आम तौर पर अप्रैल में शुरू होता है और 15 मई तक चलता है। अधिकतर ग्रामीण मतदाता किसान या खेतिहर मजदूर हैं। लोकसभा के उम्मीदवार प्रचार करने के दौरान ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रसिद्ध स्थानीय लोक गायकों और कटनी के गीतों के विशेषज्ञों की भी सेवा लेते हैं। बिहार की 40 सीटों के लिए लोकसभा सीटों पर सात चरणों में 19, एवं 26 अप्रैल, 7, 13, 20, 25 मई और एक जून को मतदान कराया जायेगा।

बिहार में हर अवसर के लिए लोक गीत

प्रसिद्ध भोजपुरी लोक गायक भरत शर्मा व्यास ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘बिहार में हर अवसर के लिए लोक गीत हैं। रोपनी, कटनी, बटोहिया और बिदेसिया गीत दुनिया भर में लोकप्रिय हैं…. छठ पूजा गीत, होली के दौरान फगुआ, चैता, हिंडोला, चतुर्मासा और बारहमासा आदि बिहार के अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर के लोकप्रिय लोक गीत हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार चुनाव के दौरान ग्रामीण मतदाताओं, विशेषकर किसानों और मजदूरों के साथ प्रभावी ढंग से संपर्क बनाने के लिये लिए इन कलाकारों की सेवा लेते हैं और इस चुनाव में भी यही हो रहा है, क्योंकि बिहार में इस समय फसल कटाई का मौसम चालू है।

बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का बयान

जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया, ‘‘यह सच है कि बिहार में कटनी का मौसम पहले ही शुरू हो चुका है, और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार ग्रामीण मतदाताओं, विशेषकर किसान रूपी मतदाताओं को लुभाने के लिए उम्मीदवार विशेष रणनीति बनाते हैं। इस मौसम में हम ग्रामीण इलाकों में सुबह 10 या 11 बजे के बाद ही बैठकें (चौपाल) आयोजित करते हैं जबतक किसान और मजदूर खेतों से वापस नहीं आ जाते हैं।तरारी से भाकपा माले के विधायक और आरा संसदीय क्षेत्र के महागठंधन के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मैं अपने चुनाव अभियान के दौरान ग्रामीण इलाकों में हर दिन किसानों और मजदूरों के परिवार के सदस्यों से मिलना सुनिश्चित करता हूं। अपने घर-घर अभियान के दौरान मैं उनसे (किसानों और मजदूरों से) खेतों में भी मिलता हूं।

कोई भी ग्रामीण मतदाताओं से आसानी से जुड़ सकता है

प्रसाद ने कहा, ‘‘यह सच है कि लोक गीतों, विशेष रूप से कटनी गीतों के माध्यम से कोई भी ग्रामीण मतदाताओं से आसानी से जुड़ सकता है।
बिहार के पूर्व भाजपा अध्यक्ष और पश्चिम चंपारण संसदीय सीट से उम्मीदवार संजय जयसवाल ने कहा, ‘‘फसल कटाई के मौसम के कारण, मैं सुबह 10 या 11 बजे से पहले शहरी क्षेत्रों में और उसके बाद, मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में प्रचार शुरू करता हूं। दिन के दौरान किसान या तो घर पर रहते हैं या गांवों में सार्वजनिक स्थानों पर रहते हैं।

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