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कोरोना के कारण निर्यात क्षेत्र में डेढ़ करोड़ नौकरियों पर खतरा, बढ़ सकता है एनपीए : फिओ

संगठन के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने शुक्रवार को कहा कि आधे से अधिक ऑर्डरों के रद्द हो जाने तथा वैश्विक व्यापार के खराब परिदृश्य के कारण ये नौकरियां जाने की आशंका है।

कोरोना महामारी के चलते देश समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। देश के तमाम उद्योय लॉकडाउन के चलते बंद है जिसके कारण लाखों लोगों की नौकरियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच, निर्यात क्षेत्र में कोरोना के चलते लगभग डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरियां जा सकती है। निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फिओ) का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण भारत के निर्यात क्षेत्र में करीब डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरियां जा सकती है तथा इस क्षेत्र की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) भी बढ़ सकती है।
संगठन के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने शुक्रवार को कहा कि आधे से अधिक ऑर्डरों के रद्द हो जाने तथा वैश्विक व्यापार के खराब परिदृश्य के कारण ये नौकरियां जाने की आशंका है। उन्होंने निर्यातकों के लिये राहत पैकेज की मांग करते हुए कहा कि अभी जीवन और जीवनयापन के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। इनमें से किसी को ही चुनना देश के लिये त्रासद हो सकता है।
सर्राफ ने कहा कि निर्यातकों के पास बेहद कम ऑर्डर बचे हैं। यदि कारखानों को न्यूनतम कामगारों के साथ चलाने की छूट नहीं दी गई तो ऐसी क्षति होगी जिसकी भरपाई नामुमकिन है। छूट नहीं मिलने से ये कारखाने बंद होने के लिये बाध्य हो जाएंगे और जो नुकसान होगा, उन्हें ही झेलना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘50 प्रतिशत से अधिक ऑर्डर रद्द हो जाने तथा आने वाले समय के लिये खराब परिदृश्य से निर्यात इकाइयों में डेढ़ करोड़ लोगों के बेरोजगार हो जाने तथा एनपीए बढ़ने की आशंका है। अंतत: इनका असर अर्थव्यवस्था पर होगा।’’ उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से परिधान, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, हथकरघा, इंजीनियरिंग और कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सर्राफ ने कहा, ‘‘चीन हमारा बाजार हथिया रहा है। उन्होंने कारखाने शुरू कर दिये हैं इससे अब ऑर्डर उन्हें मिल रहे हैं। यदि हमने अभी कारखाने शुरू नहीं किये तो बहुत देरी हो जाएगी। बांग्लादेश और श्रीलंका जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है।’’

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