राजधानी दिल्ली में आए दिन कोई न कोई पारिवारिक विवाद सामने आते रहते हैं। जहां घर में आपसी मनमुटाव व किसी भी बात को लेकर घर के सदस्य आपस में लड़ते है। दिल्ली के फैमिली कोर्ट की संख्या में इजाफा होने वाला है। एलजी वीके सक्सेना ने इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है। दिल्ली में अब दस नए फैमिली कोर्ट बनाए जाएंगे, जिसके बाद राजधानी में पारिवारिक कोर्ट कि संख्या 21 से बढ़कर 31 हो जाएगी। दिल्ली के फैमिली कोर्ट की संख्या में इजाफा होने वाला है। एलजी वीके सक्सेना ने इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है। दिल्ली में अब दस नए फैमिली कोर्ट बनाए जाएंगे, जिसके बाद राजधानी में पारिवारिक कोर्ट कि संख्या 21 से बढ़कर 31 हो जाएगी।
कब लाया गया था प्रस्ताव?
अक्टूबर, 2019 में पहली बार प्रस्ताव लाया गया था. जिसमें कहा गया था कि दिल्ली को एक दशक से ज्यादा समय से लंबित मामलों पर निर्णय लेने में मदद करने के लिए 10 और पारिवारिक न्यायालय चाहिए। एलजी के अप्रूवल के बाद 10 नए जजों की नियुक्ति के साथ ही 71 अन्य पदों के लिए भी भर्ती की जाएगी, जिनमें रीडर, स्टेनो/सीनियर पीए, स्टेनो/पीए, अहलमद/जेए, सहायक अहलमद, नायब नाजिर, और स्टाफ कार ड्राइवर शामिल हैं।
कहां कितने केस
दिल्ली में पारिवारिक न्यायालयों में लगभग 46,000 मामले लंबित हैं, जिनमें सबसे कम 1321 प्रिंसिपल जज, फैमिली कोर्ट, साकेत के पास लंबित हैं और सबसे ज्यादा 3654 मामले फैमिली कोर्ट, रोहिणी में हैं। फैमिली कोर्ट हेडक्वार्टर द्वारका के मुताबिक, हर दिन औसतन लगभग 150-200 मामले इन कोर्ट्स में रजिस्टर होते हैं। हालत ये हैं की यहां मामले ज्यादा और स्टाफ बेहद कम है। इसलिए एक-एक स्टाफ को कई-कई लोंगों का काम भी करना पड़ता है। दिल्ली सरकार के इस फैसले से यकिनन ना सिर्फ लोगों के बरसों से लंबित मामले हल होंगे, बल्कि कोर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी यह एक राहत की खबर है।