नई दिल्ली : वर्तमान समय में फसल उत्पादन में ज्यादा लागत और कम कमाई की वजह से किसान खेती से विमुख होते जा रहे हैं। खेती से लागत बढ़ने का मुख्य कारण किसानों की निर्भरता है लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) का बायोगैस मॉडल न केवल देश को आर्गेनिक खेती को दिशा दे रहा है बल्कि कूड़े-करकट से गैस पैदा कर कम लागत में किसान अपनी फसल पैदा कर रहे हैं। पूसा के इस बायोगैस मॉडल को दिल्ली देहात के किसानों ने अपनाया है, जिससे उनके खेत सोना उगलने लगे हैं।
पूसा वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि बड़े लेबल पर इसे अपनाया जाये तो न केवल कृषि को फायदा होगा बल्कि दिल्ली के लिए बड़ी समस्या कूड़े का निस्तारण भी आसानी से हो सकेगा। दिल्ली में वर्तमान में 250 से ऊपर गांव हैं। बदलते मौसम और दूषित पर्यावरण ने खेतों की मिट्टी की उर्वरता को कम कर दिया है। रासायनिक खाद के उपयोग से लहलहाते खेत अब बेजार हो गये हैं। ऐसे में खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए आर्गेनिक खेती(जैविक) ही एक मात्र विकल्प है।
पूसा के वैज्ञानिक दिल्ली के अलग-अलग गांव के किसानों को बायोगैस लगाने में मदद कर रहे है। कृषि वैज्ञानिक डबास बताते हैं कि बायोगैस मॉडल से दिल्ली के बुराड़ी, ईस्ट ऑफ कैलाश, बादली, नजफगढ़, दिचाऊं, मित्राऊं, टिकड़ी बॉर्डर, कंझावला गांव के कई किसानों ने अपनाया है। इससे फसल का उत्पादन डेढ़ गुणा बढ़ गया है।
– कौशल शर्मा