भारत इस समय कोरोना महामारी के दौर के गुजर रहा है। मामलों में रोजाना हो रही है बढ़ोतरी के बीच डेल्टा वेरिएंट के केस ने लोगों के बीच चिंता बड़ा दी है। एक नए स्टडी के अनुसार अनुसार चीन के वुहान से आए मूल स्वरूप की तुलना में कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप, टीकों द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है।
यह अध्ययन यहां सर गंगा राम अस्पताल (एसजीआरएच) सहित भारत के तीन केंद्रों पर 100 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) पर किया गया था। इसमें पाया गया कि बी.1.617.2 डेल्टा स्वरूप न केवल गैर-डेल्टा संक्रमणों (सीटी मूल्य 16.5 बनाम 19) की तुलना में उच्च श्वसन वायरल लोड के साथ संक्रमणों पर हावी है बल्कि पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके एचसीडब्ल्यू के बीच अधिक संचरण भी उत्पन्न करता है।
‘कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ थेराप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज’ के वैज्ञानिकों के साथ किये गये अध्ययन, ‘‘सार्स-सीओवी-2 बी.1.617.2 डेल्टा वेरिएंट इमर्जेंस एंड वैक्सीन ब्रेकथ्रू: कोलैबोरेटिव स्टडी’’ की अभी समीक्षा की जानी बाकी है। अध्ययन में पता चला है कि वुहान -1 की तुलना में डेल्टा स्वरूप टीकों द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है।
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, एसजीआरएच के अध्यक्ष डॉ. चंद वट्टल ने कहा, ‘‘इस अध्ययन से, ऐसा प्रतीत होता है कि हमें कोविड-19 महामारी के मामले में मीलों दूर जाना है। यदि हम अपनी सुरक्षा को कम करते हैं और खुद को इस वायरस का शिकार होने का मौका देते है तो ये उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होना तय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों के लिए आंख खोलने जैसा है कि आप टीकाकरण के नाम पर एहतियाती उपायों को कम नहीं कर सकते हैं। वायरस शिकार पर है, अभी भी अपने शिकार की तलाश में है। यह म्यूटेंट बढ़ी हुई स्पाइक प्रोटीन के साथ वापस आ गया है जिसमें वुहान स्वरूप की तुलना में लोगों को संक्रमित करने की अधिक क्षमता है।’’
अध्ययन में कहा गया है कि हाल के आंकड़ों और इस प्रकार के नए संक्रमणों के प्रभुत्व के आधार पर, बी .1.167.2 डेल्टा स्वरूप ब्रिटेन में बी.1.1.7 की तुलना में अधिक संक्रामक प्रतीत होता है।