महामारी की आहट आ रही हो तो सम्भल जाना चाहिए। काेरोना फिर दस्तक दे रहा है,अलर्ट हो जाना चाहिए तथा उपाय करने चाहिए। यद्यपि कोरोना के नए-नए वैरिएंट इतने घातक न हों जितने हमने पूर्व में देखें और झेले हैं। फिर भी महामारी का आतंक अब तक व्याप्त है। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने अपनी अंक गणना के आधार पर कहा कि अब कोरोना सिर्फ साधारण जुकाम और खांसी के रूप में ही रहेगा लेकिन उन्होंने एक भविष्यवाणी करके चौंका दिया है। उनका कहना है कि मई 2023 तक रोज 2 हजार से ज्यादा केस आ सकते हैं। किसी भी महामारी या आपदा के बाद पूरी मशीनरी निष्क्रिय और शिथिल हो जाती है। हम नए हादसों का इंतजार करने लगते हैं। अहम सवाल है कि अगर हजारों लोग साधारण रोग के लिए भी अस्पतालों में उमड़ पड़ते हैं तो क्या इतना बड़ा बोझ झेलने के लिए हमारा तंत्र तैयार है। बेहतर यही होगा कि सरकारी व निजी क्षेत्र के अस्पताल किसी भी आपदा से निबटने के लिए अलर्ट रहें तथा सतर्कता से काम करें।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जब भी दुनिया के किसी भी देश में कोई महामारी आती है तो वह इतनी जल्दी नहीं जाती। मुसीबत के बारे में भी यही कहा गया है कि जब आती है तो बहुत नुक्सान करके जाती है लेकिन यह भी सच है कि अगर चुनौती के समय उपाय कर लिये जाए और धैर्यशीलता रखी जाए तो मुसीबत और महामारी के असर को खत्म किया जा सकता है। एक सकारात्मक सोच है कि अगर बीमारी या मुसीबत जड़ से खत्म न हो तो हम अपने उपायों से उसमें कमी तो ला ही सकते हैं। हम कोरोना को बीते कल की बात मानते थे क्योंकि इस कोरोना ने देश और दुनिया में लोगों को गहरे जख्म दिए हैं। हमारे देश में भी ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने अपनों को खोया है लेकिन यह सच है कि मुसीबत और महामारी के इस कठिन मुश्किलों भरे समय में हमने आपदा में अवसर को खोज लिया। वैक्सीनेशन के दम पर हमारा देश दुनिया में कोरोना की मार से सबसे तेजी से उभरने वाला देश है। हमने अपने आपको उपायों के बंधन में बांधा जिनमें लॉकडाउन एक था और हम तेजी से उभरे तथा अपनी अर्थव्यवस्था को भी उभारा लेकिन विशेषज्ञों का यह कहना कि महामारी या कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ। यह कभी भी सिर उठा सकता है। पिछले दो महीने से कोरोना फिर सिर उठा रहा है और पहले जैसी परिस्थितियां पैदा न हो आओ पहले से उपाय कर लें। कोरोना का फन इससे पहले कि वार करें हम सावधानीपूर्वक धैर्यशीलता के साथ आगे बढ़ते हुए इसे खत्म कर देंगे। महाराष्ट्र, मुंबई यहां तक कि दिल्ली में पिछले दो हफ्ते से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो निश्चित रूप से हमें सावधान हो जाना चाहिए। हां घबराने की बात नहीं है लेकिन सावधानी व सतर्कता तो रखनी ही चाहिए।
मेरी अनेक डाक्टर मित्रों से बातचीत होती रहती है। मैं उनसे पिछले दिनों दिल्ली एनसीआर में फैल रहे एनफल्यूएंजा को लेकर ज्यादा चितिंत रही हूं क्योंकि लोग इस एनफल्यूएंजा की ही चर्चा करते रहे हैं। यह एक सूखी खांसी है जो कोरोना की तरह घातक तो नहीं लेकिन महीनों किसी को भी परेशान कर सकती है। देश और राज्य सरकारें अलर्ट हैं तथा बराबर लोगों को एडवाइजरी जारी करती रहती हैं कि खुले स्थानों पर जाने से बचें, ज्यादा भीड़ वाले इलाकों में जाना हो तो मास्क लगाएं। जिनको शुगर, हाई बीपी है वो अपना अधिक ध्यान रखें और इसके नाम से घबराए नहीं। क्योंकि हमारा मानना है कि अब जो भी कोरोना है वो जानलेवा नहीं। अगर हम पहले से ध्यान रखें इस कोरोना से आम बीमारी की तरह निपटा जा सकता है, क्योंकि Prevention is better than Cure अर्थात इलाज से परहेज बेहतर है।