कुख्यात गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई के एक खबरिया चैनल को दो बार दिए गए इंटरव्यू पर तूफान मचा हुआ है। हर कोई सफाई दे रहा है कि यह इंटरव्यू उनकी जेल से नहीं दिया गया। पत्रकार और सम्पादक ने तो पत्रकारिता धर्म निभा कर यह दिखा दिया कि एक हिस्ट्रीशीटर बिना किसी डर के जेल की चारदीवारी में बैठकर आसानी से इंटरव्यू दे रहा है। सवाल यह नहीं कि लारेंस ने इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल से दिया या राजस्थान की जेल से, यह इंटरव्यू सिस्टम के चेहरे पर करारा तमाचा है। इससे हर किसी को समझ में आ रहा है कि जेल के भीतर कैसे फोन के जरिए अपराधी अपना गैंग ऑपरेट करते हैं और अपने खूनी मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाते हैं। सवाल किसी एक जेल का नहीं बल्कि देश की जेलों का है जो खतरनाक अपराधियों के लिए ऐशगाह बन चुकी हैं। जेल की ऊंची-ऊंची दीवारें, दिन-रात जवानों का पहरा, कायदे और कानून इनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे। 9 सालों से जेल में बंद लारेंस खुलेअम फिल्म स्टार सलमान खान को धमकी दे रहा है। अब तो सलमान को गोल्डी बराड़ की तरफ से नई धमकी भी मिल गई है कि ‘मैटर क्लोज करना है तो बात कर लो।’
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का आरोपी खुलेआम अपने गिरोह की गतिविधियों का खुलासा करता है। यद्यपि इस इंटरव्यू के जरिए एक गैंगस्टर का महिमामंडन ही हुआ है लेकिन सवाल यह हैै कि सिस्टम क्या कर रहा है? जेलों में लगातार छापेमारी कर मोबाइल और सिम बरामद किए जा रहे हैं। जेलों में जैमर लगे होते हैं। फिर भी अपराधियों के मोबाइल काम करते हैं। जेल का अपराध शास्त्र बताता है कि सिस्टम कितना भ्रष्ट हो चुका है। नीचे से लेकर ऊपर तक यानी एसएसपी से लेकर डीआईजी तक बयां कर रहे हैं? पंजाब में तरनतारन की गोंडरवाल साहिब जेल में गैंगवार के चलते सिद्धू मूसेवाला की हत्या से जुड़े दो आरोपियों की हत्या हो जाती है और इसकी जिम्मेदारी कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ लेता है। मारे गए दोनों लोग जग्गू भगवानपुरिया गैंग के गुर्गे थे। गोल्डी बराड़ ने फेसबुक पर लिखा था कि जेल में हत्याओं की जिम्मेदारी लारेंस ग्रुप लेता है। सवाल यह है कि खतरनाक गिरोहों के अपराधी एक ही जेल में क्यों बंद थे। गैंगस्टरों के बीच बदला लेने की होड़ फिल्मों की तरह मची हुई है। कौन कब किस समय मारा जाये, कुछ भी कहा नहीं जा सकता।
गुजरात के साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद की चर्चा भी जोरों पर है। फरवरी 2023 में अतीक पर उमेश पाल की हत्या कराने का आरोप लगा है। इससे पहले भी 2018 में जेल में रहते हुए लखनऊ के व्यापारी को अगवा करने का आरोप लगा था। अब उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद का पूरा परिवार ही वांछित है। पूर्वांचल के सबसे कुख्यात बाहुबली मुख्तार अंसारी की हुकूमत भी जेल से चलती रही है। जेलों में कुख्यात लोगों को वीआईपी ट्रीटमैंट मिलता है। क्योंकि हर जेल में भ्रष्टाचार की नींव पर दीवारें खड़ी हैं जिसमें अनेक छिद्र हैं। जेलों में बैठकर गैंगस्टर खूनी नेटवर्क चलाते हैं। हत्याएं करवाते हैं। धमकियां देकर रंगदारी या फिरौतियां वसूलते हैं। कहा जाता है कि जो नशा बाहर नहीं मिलता वह जेल में आसानी से मिल जाता है। जेलों को सुधार गृह का नाम दिया गया है लेकिन जेलों में आजकल अपराध की ट्रेनिंग मिल रही है। जेलों में बैठकर अपराधी सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों को भी अपडेट करने लगे हैं। अपराधियों के साथ राजनीतिज्ञों की सांठगांठ किसी से छिपी नहीं है। राजनीतिज्ञों ने गैंगस्टरों का इस्तेमाल जमकर किया है। यही कारण है कि अब स्थितियां बेकाबू हो रही हैं। जेलों में अपराध होने पर हर तीसरी आंख भी बंद हो जाती है। समाज में हो रहे कई तरह के अपराधाें की जड़ भी जेलों में होती है। जेल मैन्यूल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अपराधी जेलों में दरबार लगाते हैं। शराब की पार्टियां की जाती हैं। बड़े-बड़े अपराधी अपराधों का जाल बुनते हैं और बाहर उन अपराधों की गूंज सुनाई देती है। अब सवाल यह है कि जेलों की स्थिति को सुधारा कैसे जाए।
जेलें ही अगर अपराधों का ट्रेनिंग सैंटर बन चुकी हैं तो फिर यह खतरनाक संकेत है। जेल में धार्मिक कट्टरता भी फैलाई जा रही है। जेलों में कमजोर कैदियों का दैहिक और मानसिक शोषण भी एक बड़ी समस्या है। समाज विज्ञान की नजर में एक अपराधी जो मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति है वह और ज्यादा बीमार और हिंसक हो रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों को जेलों में सुरक्षा, अनुशासन बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। अगर अपराधी जेलों से ही इंटरव्यू देते रहे तो अपराध का ग्लैमराइजेशन होता रहेगा। इससे कानून का खौफ नहीं रहेगा और युवा पीढ़ी आपराधिक मानसिकता का शिकार होती रहेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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