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मोदी फिर आए तो कई मंत्रालय एक होंगे

‘सुबह आंख खुली तो चेहरे पर बिखरी थी एक मखमली धूप
जिसने अपने चेहरे पर मल रखा था सुलगती रातों के अवशेष’

400 पार के उद्घोष के साथ नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की तैयारी में हैं। देश का चुनावी मिज़ाज भले ही किंचित बदला सा नज़र आ रहा हो पर मोदी को अपनी सत्ता की ‘हैट्रिक’ का पक्का भरोसा है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मोदी ने आगामी जून में गठित होने वाले अपने नए मंत्रिमंडल के चेहरे-मोहरे पर भी विचार करना शुरू कर दिया है। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि केंद्र सरकार के कम से कम 10 मौजूदा मंत्रालयों का विलय हो सकता है। मसलन, इंडस्ट्री, हैवी इंडस्ट्री और कॉमर्स को मिला कर एक मंत्रालय बनाया जा सकता है।
स्किल डेवलपमेंट को मानव संसाधन मंत्रालय का हिस्सा बनाया जा सकता है। रेल, सड़क परिवहन और एविएशन को मिला कर एक बड़ा मंत्रालय बनाया जा सकता है। अल्पसंख्यक जैसे मंत्रालयों पर तो पहले से संकट के बादल मंडरा रहे हैं, इनका अस्तित्व भी नेस्तनाबूद हो सकता है। हां, एक बड़ा खुलासा और। मोदी अपने तीसरे टर्म में बतौर वित्त मंत्री एक चौंकाने वाला नाम सामने ला सकते हैं। मोदी बतौर वित्त मंत्री एक ऐसा चेहरा चाहते हैं जो राजनेता से कहीं ज्यादा आर्थिक मामलों का अंतर्राष्ट्रीय जानकार हो। इस कड़ी में 15वें वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एन.के. सिंह का नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है।
मस्क ने अंबानी से हाथ मिलाया
इस बात का खासा शोर है शराबा है कि ‘टेस्ला और एक्स’ कंपनी के मालिक एलॉन मस्क पीएम मोदी से मिलने इसी महीने भारत आ रहे हैं। सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि इस दफे मस्क को भारत लाने में देश के चुनिंदा उद्योगपति मुकेश अंबानी की एक महती भूमिका है। इस बात की भी चर्चा है कि भारत में ‘ईवी’ गाड़ियां बनाने के लिए टेस्ला और रिलायंस के बीच एक ‘जेवी’ हो सकता है। हालांकि मस्क टेस्ला की गाड़ियों को भारत में बेचने की इच्छा 2015 से ही जताते आ रहे हैं। इसी कड़ी में टेस्ला ने 2017 में अपनी सब्सिडियरी भारतीय कंपनी को बेंगलुरू में पंजीकृत भी करा लिया था, पर बात बन नहीं पाई, क्योंकि उस वक्त ‘लोकल सोर्सिंग’ में नियम कानून बेहद सख्त थे।
इन्हीं दिक्कतों का हवाला देते हुए एलॉन मॉस्क ने 2019 में सार्वजनिक मंचों से भारत की ‘हाई इंपोर्ट ड्यूटी’ को आड़े हाथों लिया था। इसके बाद जून 2023 में मस्क पीएम मोदी से मिले, जब मोदी अपने अमरीकी दौरे पर थे। इस मुलाकात का असर यह हुआ कि इस वर्ष मार्च में केंद्र सरकार ने ईवी गाड़ियों पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती कर दी।
इसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का बयान भी सामने आया और गडकरी ने कहा कि ‘मस्क को अगर टेस्ला को भारत लाना है तो उन्हें यहां मेन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगानी होगी।’ सूत्र बताते हैं कि टेस्ला अब गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्यों में अपनी निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए जगह तलाश रही है और माना जाता है कि इस कड़ी में उन्हें रिलायंस के रूप में एक लोकल पार्टनर भी मिल गया है।
सियासी मोती चुनने में पारंगत हंस
पंजाबी फोक सिंगर हंसराज हंस राग और सियासी राग चुनने में पारंगत माने जाते हैं। इस बार जब उनका उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा से टिकट कटा तो उन्होंने किंचित विद्रोही मुद्रा अख्तियार कर ली, आप नेताओं से उनकी पींगे बढ़ने लगी थीं। इसे देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें पंजाब के फरीदकोट सीट से चुनाव लड़ाने का आनन-फानन में फैसला कर लिया।
सियासी मोती चुगने में माहिर हंस पहले ही कई राजनीतिक दलों का सफर तय कर आए हैं। वे ​शिरोमणि अकाली दल में रहे, फिर वहां से कांग्रेस में आ गए और कांग्रेस से भाजपा में और अब की बार उनकी आप की मुंडेर पर नजर थी। पर फरीदकोट का मैदान हंस के लिए आसान नहीं रहने वाला है क्योंकि वहां उनका मुकाबला एक जाने-माने सूफी सिंगर मोहम्मद सादिक से है जो कि वहां से कांग्रेस के निवर्तमान सांसद भी हैं। इस घमासान को दिलचस्प बनाने के लिए एक तीसरे पापुलर सिंगर करमजीत निर्दलीय मैदान में उतर आए हैं। वैसे भी हंसराज हंस अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में जहां भी जा रहे हैं वहां उन्हें स्थानीय किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
क्या बिट्टू से दोस्ती निभाएंगे मनीष?
लुधियाना से कांग्रेस के सांसद रहे रवनीत सिंह बिट्टू और आनंदपुर साहिब से निवर्तमान कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी में गहरी छनती है। परिस्थितियां बदलीं और इस दफे बिट्टू कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा शीर्ष बिट्टू को आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ा सकता है, जहां से वे 2009 में अपना पहला चुनाव जीते थे।
सूत्रों की मानें तो बिट्टू ने मनीष को फोन कर कहा कि ‘आप मेरे दोस्त और बड़े भाई की तरह हो सो आनंदपुर साहिब से आपके खिलाफ चुनाव लड़ने में मुझे हिचक हो रही है। क्या यह संभव है कि आप सीट बदल कर लुधियाना या चंडीगढ़ चले जाओ’ इस पर मनीष ने कहा कि ‘यह तो हाईकमान पर निर्भर है कि वह मुझे कहां से चुनाव लड़ाना चाहता है फिर भी मैं एक बार सोनिया जी से बात करूंगा।’ ताजा जानकारियों के मुताबिक खड़गे के नेतृत्व वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने इस दफे मनीष तिवारी का नाम चंडीगढ़ लोकसभा सीट के लिए प्रस्तावित किया है। आज या कल में ही इस पर राहुल गांधी की सहमति या असहमति की मुहर लगनी है, तब कहीं जाकर इस बात का पता चल पाएगा कि क्या वाकई मनीष तिवारी अपने दोस्त की भावनाओं की रक्षा कर पाए हैं?
भाजपा में असंतोष के स्वर
क्या 2024 के मौजूदा लोकसभा चुनाव में भगवा ताने-बाने की गांठें कमजोर पड़ी हैं। वरना चुप सियासी सन्नाटों से हाईकमान की मंशाओं को बटोरने वाले भगवा नेता बागी राग गाने की हिमाकत कैसे कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों भाजपा महासचिव सुनील बंसल ने कुछ सीनियर भाजपा नेताओं को तलब कर उन्हें कुछ महती चुनावी जिम्मेदारियां देने की पहल की। पर बंसल उस वक्त हैरत में डूब गए जब उन्होंने पाया कि इनमें से कई स्थानीय नेता चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। इनमें से कई नेता वैसे थे जो पार्टी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे थे, पर शीर्ष नेतृत्व ने बाहर से आए नेताओं को उनकी जगह प्राथमिकता दे दी।
कई नेता यह कहते मिले कि उन्होंने 2014 से लगातार पार्टी टिकट का इंतजार किया पर वे अब निराश हैं। इस पर बंसल ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि ’आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी और उन्हें पार्टी टिकट से मैदान में उतारा जाएगा।’
नहले पर दहला जड़ती ममता
पिछले दिनों बेंगलुरू बलास्ट के दो आरोपियों को पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया। जैसे ही यह खबर आई भाजपा डिजिटल सेल के प्रमुख अमित मालवीय का ‘एक्स’ पर पोस्ट आ गया कि ‘पश्चिम बंगाल आतंकवादियों के लिए एक ‘सेफ हेवेन’ बन गया है।’ मालवीय की पोस्ट सामने आते ही पश्चिम बंगाल पुलिस के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से इसका जवाब आता है कि ‘आप सेफ हेवेन कैसे कह सकते हैं क्योंकि इन्हें ढूंढने और गिरफ्तार करवाने में हमने एनआईए की पूरी मदद की है।’ मामला यहीं नहीं थमा। उस वक्त कूच बिहार में रैली कर रही ममता बनर्जी भी पीछे नहीं रहीं। ममता ने कहा कि ‘बंगाल आतंकवादियों के लिए सेफ हेवेन नहीं है, ब्लास्ट के आरोपी कर्नाटक के हैं और उन्होंने पश्चिम बंगाल में सिर्फ दो घंटे ही बिताए थे कि मेदिनीपुर पुलिस ने यह सूचना एनआईए को दी और उन्हें झट से पकड़वा दिया।’ यानी भाजपा के सोशल मीडिया पर अब विरोधी दल भी बीस साबित हो रहे हैं।
…और अंत में
आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल हिरासत में हैं। और पार्टी की आवाज़ सड़कों पर चूंकि आप के कई नेता सीबीआई और ईडी के रडार पर हैं इसे देखते हुए आप की कोर टीम का सुझाव है कि ’अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली के चुनावी मैदान में उतरना चाहिए।’ खास कर इन आशंकाओं के बीच कि यहां किसी भी वक्त राष्ट्रपति शासन लग सकता है। आप से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि ‘सुनीता केजरीवाल भाजपा प्रत्याशी बांसुरी स्वराज के खिलाफ नई दिल्ली से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।’ कहते हैं पार्टी कैडर का यह सुझाव यहां के मौजूदा आप उम्मीदवार सोमनाथ भारती को भी मुफीद लग रहा है। वह अपनी सीट छोड़ने को तैयार बताए जा रहे हैं।

– त्रिदीब रमण

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