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लॉकडाउन खत्म हुआ कोरोना नहीं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान सातवीं बार देश को सम्बोधित किया। 12 मिनट के भाषण में मोदी जी ने मास्क और दो गज की दूरी को लेकर ढिलाई बरत रहे लोगों को चेताते हुए कहा कि देश में लॉकडाउन चला गया, लेकिन वायरस अभी नहीं गया है। वाकई त्यौहार के समय हमें बहुत ही अलर्ट होने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान सातवीं बार देश को सम्बोधित किया। 12 मिनट के भाषण में मोदी जी ने मास्क और दो गज की दूरी को लेकर ढिलाई बरत रहे लोगों को चेताते हुए कहा कि देश में लॉकडाउन चला गया, लेकिन वायरस अभी नहीं गया है। वाकई त्यौहार के समय हमें बहुत ही अलर्ट होने की जरूरत है।
पीएम ने कहा कि हम सबने बहुत सी तस्वीरें वीडियो में देखी हैं। इनमें साफ दिखता है कि कई लोगों ने सावधानियां बरतना बंद कर दिया है या ढिलाई बरत रहे हैं। अगर आप लापरवाही बरत रहे हैं, ​बिना मास्क निकल रहे हैं तो आप अपने परिवार के बच्चों, बुजुर्गों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं। पीएम ने सोरठा और दोहे से बताया-रिपु राज पावक प्रभु अहि गनिअ न घोट करि यानी आग यानी शत्रु पाप यानी गलती और बीमारी को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। जब तक पूरा ईलाज न हो। यानी जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं।
अभी-अभी पूजनीय श्रीमती राज खुराना जी अपने नाति शिवम खुराना और बेटी के साथ शादी का कार्ड, मिठाई देने आईं, बहुत ही अच्छा लगा। तीनों ने मास्क पहने हुए थे। बेटी ने तो अपनी आने वाली बहू के हाथ का तैयार ​किया डिजाइन वाला मास्क पहना था। वाह! समय के साथ क्या स्टाइल परिवर्तन हो गए। उसके बाद हमारे मिस्टर जैन और मिसेस जैन बेटे की शादी का कार्ड देने आये। आगे कार्ड के साथ गिफ्ट आते थे, इस बार आया बहुत बड़ा पैकेट जिसमें तरह-तरह के सैने​टाइज, मास्क, दस्ताने, सिर की टोपियां और शूज के कवर थे। शायद हमारी पूरी फैमिली के लिए महीना चलेंगे। मैं उनके जाने के बाद सोच रही थी कि क्या उपयोगी सोच है और व्यावहारिक नजरिया भी है, जो हमें कोरोना के साथ लड़ने के​  लिए, हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। अपने तरीके बदलने होंगे। अब शादी, मौत और किरया के तरीके बदल गए हैं। दुख के समय हम गले लगाकर रो भी नहीं सकते।
मेरे समधि बीमार हैं, उनका हाल सिर्फ वीडियो कॉल कर पूछ लेते हैं। हमारे चौपाल के निदेशक आदरणीय भोला नाथ जी, जो मेरे पिता तुल्य और बड़े भाइयों जैसा स्नेह देते हैं, अस्पताल में दाखिल हैं। चाह कर भी उनके पास नहीं जा सकते। फिलहाल हमारी संस्था चौपाल के साथी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन जी बहुत व्यक्तिगत रूप से देखभाल और सहयोग कर रहे हैं। वो ऐसे स्वास्थ्य मंत्री हैं जिनके दरवाजे से शायद ही कोई खाली जाता होगा। वह एक साधारण व्यक्ति की तरह सबके दुख के साथी हैं। सारे देश के मरीजों का ख्याल रख रहे हैं, वो भी हौसला बढ़ा रहे हैं कि जल्दी वैक्सीन आ रही है। वाह! भगवान इंसान बदल रहा है, हालात बदल रहे हैं।
कहा तो ठीक गया है कि मुसीबत जब आती है तो मिलजुल कर उसका सामना किया जाना चाहिए। बचाव में ही बचाव है, ऐसी अपील आज के कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन में कई बार कर चुके हैं। सब जानते हैं कि कोरोना ने पूरी दुनिया को अपने चंगुल में ले रखा है। लोग जब तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहें और मास्क लगाते रहें तब तक सब कुछ ठीक था लेकिन जिस दिल्ली में सब कुछ सही जा रहा था अब उसी राजधानी में हालात बेहद गम्भीर और ​चिंताजनक होते जा रहे हैं। कभी लॉकडाउन था जो अलग-अलग चरणों में सख्त हो रहा था और अब अनलाक चल रहा है और लोगाें को इसमें ढील मिल रही है, इसीलिए दिल्ली में हालात गम्भीर होते जा रहे हैं। हर रोज एक दिन में अगर 5 हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस आएंगे तो हमें सावधान हो जाना चाहिए। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी लोगों को चेतावनी दी है। दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जो दिल्ली वाले अपने अनुशासन, अपनी मानवता के लिए एक उदाहरण हैं, वही अब इतने लापरवाह क्यों हो रहे हैं कि विशेषज्ञों को चेतावनी देनी पड़ रही है कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ रही है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है इसलिए लोगाें को सावधान हो जाना चाहिए।
दिल्ली सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि फिलहाल मास्क लगा लो, इसे ही प्री वैक्सीन समझ लो। लेकिन अनेक इलाकों में चाहे वह पोश हों या जेजे कलस्ट, लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया है। मुझे याद है जब लॉकडाउन चल रहा था तो दिल्ली वालों ने मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया था इसी वजह से दिल्ली में केस कम थे लेकिन अब सरकार ने अनलॉक के दौरान ट्रेनें, मैट्रो और अन्य वाहनों को आजादी दे दी है तो उसका मतलब यह नहीं  है कि हम लापरवाह हाे जाएं। अभी दो दिन पहले ही एम्स के डा. गुलेरिया ने भी साफ कहा था कि दिल्ली वाले सम्भल जाएं और मास्क अवश्य लगाएं वरना गम्भीर परिणाम निकलेंगे। यह वही डाक्टर गुलेरिया हैं जिन्होंने जून में चेतावनी दी थी कि देश और दिल्ली में सोशल ​​डिस्टें​सिंग का पालन न करने पर कोरोना केस दस गुणा बढ़ जाएंगे। उनकी यह चेतावनी सच निकली थी। लोगों को सम्भल जाना चाहिए।
जब सुविधाएं मिलती हैं तो लोग ज्यादा लापरवाह हो जाते हैं यह बात सच है लेकिन सरकार लोगों के दुख-दर्द और घर में 24 घंटे रहने की पीड़ा को समझते हुए अगर बसों में हर सीट पर यात्री को बैठाने की सुविधा देने जा रही तो हम कम से कम मास्क तो लगा सकते हैं। लोगों ने नियमों का पालन किया था और आज भी इसी का पालन करने की जरूरत है। अमेरिका, इटली, ब्राजील, इंग्लैंड ज्यादा लोगों की मौत का कारण नियमों का पालन करना नहीं है।  हालांकि सुविधाएं तो वहां भारतीय हैल्थ सेवाओं से ज्यादा बेहतर थीं लेकिन अच्छी बात यह है कि हमारे यहां लोगों का इम्युनिटी सिस्टम मजबूत है लेकिन फिर भी डाक्टर लोग सही सलाह दे रहे हैं कि 60 साल के लोगों को सम्भल कर चलना चाहिए। इसका मतलब यह तो नहीं कि यूथ मास्क उतार दें। भीड़ में जाने से बचें और अपने खान-पान के सिस्टम को मजबूत रखें तो बचाव है। खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि देश के वैज्ञानिक वै​क्सीन के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। कोरोना टैस्टिंग तेज हो चुकी है लेकिन याद रखो सावधानी हटी दुर्घटना घटी। कहने का मतलब है कि इससे पहले कि फिर आग लगे और कुआं खोदने की तैयारी शुरू की जाए, महामारी की अगली लहर आने से पहले ही हम सावधान हो जाएं तो सबका बचाव हो सकता है क्योंकि हमें कोरोना के साथ ही जीना है, अर्थव्यवस्था भी चलानी है और घरवार भी चलाना है। जो लोग कोरोना की वजह से हमसे बिछड़ गए लेकिन और कोई अब इसकी चपेट में न आए तो बचाव का रास्ता हमारे हाथ है और वो यही है कि मास्क लगाएं और सोशल डि​स्टेंसिंग का पालन करें। फिलहाल इसे ही वैक्सीन मानें तो हम कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं।

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