विज्ञान और चिकित्सा जगत की विभिन्न उपलब्धियों के चलते कोविड महामारी के इतिहास में समय-समय पर अहम पड़ाव आए हैं। भारत के चिकित्सा वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इस उम्मीद के साथ अनुसंधान शुरू किया था कि लोगों का जीवन बचाने के लिए और कोरोना वायरस के प्रसार को धीमा करने के कारगर उपाय निकलेंगे। इस अनुसंधान में भारत ने पूरी दुनिया में बाजी मार ली। भारत में अप्रैल 2020 में इस महामारी की शुरूआत से ही वैक्सीन को विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। वैज्ञानिकों के साथ सरकार द्वारा दिया गया बढ़ावा और निजी क्षेत्र के प्रयासों के चलते भारत में कोरोना रोधी टीका महामारी के आने के एक साल के भीतर ही तैयार कर लिया गया। भारत बायोटेक के वैज्ञानिकों की टीम ने कोवैक्सीन आैर सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड तैयार कर लिए थे, जोकि एक बहुत बड़ी उपलब्धि रही। भारत ने न केवल खुद को महामारी से बचाया बल्कि दुनिया भर के देशों को टीकों की आपूर्ति कर लोगों का दिल जीत लिया। मेड इन इंडिया टीकों ने लोगों की जिन्दगी का भरोसा दिया, बीमारी की गम्भीरता को कम किया। साथ ही लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जिसके फलस्वरूप भारत ने कोरोना महामारी को हराने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
भारतीयों में सुरक्षित रहने की स्वाभाविक प्रकृति होती है। वे जानते हैं बीमारी होने पर उन्हें बचाने कोई नहीं आएगा। खुद को बचाने के लिए अपने को सचेत बनाए रखा। 74वें गणतंत्र दिवस पर देश को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक अहम हथियार मिल गया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और विज्ञान और प्रौद्योिगकी मंत्री जितेन्द्र सिंह ने नाक के जरिये दी जाने वाली भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन इनकोवेक को लॉंच कर दिया है। इनकोवेक दुनिया की पहली कोरोना नेजल वैक्सीन है। नाक के जरिये दी जाने वाली एक दवा होने के कारण यह टीका दर्दनाक सूइयों या युवाओं के लिए अब कोई दिक्कत नहीं है। पोलियो की तरह इसके ड्रॉप्स नाक के जरिये मानव शरीर में प्रवेश के बिन्दु पर कोरोना वायरस को रोकना सुनिश्चित करता है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित नाक के टीके के लिए भारत बायोटेक द्वारा किए गए परीक्षणों में यह टीका अन्य टीकों के प्रकाशित आंकड़ों से तुलनात्मक बेहतर रहे। कम्पनी ने लगभग 3100 लोगों के साथ तीसरे चरण का ट्रायल किया। इसके अलावा 875 लोगों के साथ बूस्टर परीक्षण किया। इन परीक्षणों के आंकड़े काफी सफल रहे। कोरोना वायरस की मार झेल रहे चीन के हालात अब किसी से छुपे नहीं हैं। चीन के साथ-साथ जापान, अमेरिका सहित कई अन्य देशों में कोरोना के मामले में रिकार्ड इजाफा हो रहा है। भारत इन देशों के मुकाबले में कहीं बेहतर स्थिति में दिखाई दे रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारें हर स्थिति से निपटने के लिए आज भी चौकस हैं। भारत ने पहले ही ऐसे कदम उठा लिए थे जिनका असर अब तक देखने को मिल रहा है। भारत में जिस समय कोरोना कहर बरपा रहा था तब मोदी सरकार ने देश हित में बड़ा फैसला लेते हुए दो बार लॉकडाउन लगाया। जिस कारण भारत में कोरोना उस तरह नहीं फैल पाया जैसा चीन में इन दिनों हो रहा है।
130 करोड़ की आबादी वाले देश में सबका कोरोना वैक्सीनेशन होना एक ख्वाब जैसा ही लगता था। लेकिन केन्द्र सरकार के बेहतर प्रयास के कारण 16 जनवरी, 2021 से शुरू हुए कोरोना टीकाकरण अभियान ने तेज रफ्तार पकड़ी और आज 220 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज देश के लोगों को लग चुकी है। केन्द्र सरकार ने शीर्ष डाक्टरों की सलाह के बाद शुरूआत में एक व्यक्ति को दो वैक्सीन डोज देने का काम किया। जिसके बाद लोगों को प्रिकॉशन डोज भी दी गई। अब तक पहली डोज 100 करोड़ लोगों, दूसरी डोज 95 करोड़ लोगों और 22 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रिकॉशन डोज दी गई है। शुरूआत में कोरोना का टीकाकरण अभियान बहुत मुश्किल काम माना जा रहा था, लेकिन कुशल प्रबंधन के चलते विशाल देश में टीकाकरण अभियान कामयाब रहा। कोरोना खत्म होने में बेशक अभी वक्त है। दुनिया पहचान चुकी है कि भारत ने 130 करोड़ लोगों पर कोरोना के असर को बहुत कम कर कितनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वायरस से लड़ने में भारत ने जो मजबूती दिखाई है वह दुनियाभर के लिए एक उदाहरण है। भारत अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने में पूरी तरह से सफल रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था अब पटरी पर है। इसका श्रेय सरकार के साथ-साथ भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों को भी जाता है। अभी तक इस बीमारी के उन्मूलन के लिए प्रयासों को आगे बढ़ाना जारी रखना होगा। भारत ने चिकित्सा विज्ञान में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है। स्वस्थ भारत सुरक्षित ही हर नागरिक का लक्ष्य है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com