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शब्बीर शाह की सम्पत्ति कुर्क

वर्ष 1990 के बाद धर्म के नाम पर कश्मीर में खूनी खेल खेला गया था। पाकिस्तान के इशारे पर चुन-चुन कर हिन्दुओं को निशाना बनाया गया।

वर्ष 1990 के बाद धर्म के नाम पर कश्मीर में खूनी खेल खेला गया था। पाकिस्तान के इशारे पर चुन-चुन कर हिन्दुओं को निशाना बनाया गया। घाटी कश्मीरी पंडितों से खाली हो गई। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद आतंकवाद का बोलबाला हो गया। कश्मीरी पंडित अपने ही देश में पराए हो गए और उन्हें जगह-जगह शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा। खूनी खेल में खुद को कुल जमाती कहने वाले हुर्रियत कांफ्रैंस के नेताओं ने साजिशाना ढंग से खेल खेला। जब भी भारत पाकिस्तान में तनाव बढ़ा तो हुर्रियत के नागों ने खुद को कश्मीर का असली नुमाइंदा बताते हुए पाकिस्तान से वार्ता की वकालत की। हुर्रियत के नेताओं को पाकिस्तान ने हमेशा मोहरे की तरह इस्तेमाल किया। आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रैंस का गठन 9 मार्च 1993 को हुआ था। इस संगठन का एकमात्र मकसद कश्मीरी अलगाववाद की आवाज बुलंद करना था। सैय्यद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक, मसरत आलम, शब्बीर शाह और कई अन्य तथाकथित नेताओं ने टेरर फंडिंग से अपनी राजनीति की दुकानें चलाईं। टेरर फंडिंग से इन्होंने भारत के खिलाफ साजिशें रचीं।
-इन नेताओं ने देश-विदेेश में अकूत सम्पत्ति बनाई।
-युवाओं के हाथों में किताबों की जगह बंदूकें थमाई।
-स्कूली बच्चों के हाथों में पत्थर पकड़वा कर उन्हें दिहाड़ीदार मजदूर बना डाला।
-हवाला के जरिये जो भी पैसा आता उसका इस्तेमाल घाटी में
  गोलियां बरसाने के लिए किया जाता।
-हुर्रियत नेता हवाला से आए पैसों पर कमीशन भी लेते रहे हैं।
-अपने बच्चे देश और विदेश में अच्छे स्कूलों में पढ़ाए जबकि कश्मीरी आवाम के बच्चों के स्कूल जला दिए गए।
-घाटी में जगह-जगह पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते थे।
केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहला काम कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसने का किया। एक-एक करके हुर्रियत के नाग पिटारे में बंद कर दिए गए। यद्यपि घाटी में बचे-खुचे आतंकवादी अभी भी टार्गेट किलिंग में लगे हुए हैं लेकिन सुरक्षा बलों का आपरेशन ऑल आउट सफलतापूर्वक चल रहा है।  ईडी, एनआईए और अन्य जांच एजैंसियों ने अलगाववादी नेताओं को लोगों के सामने नग्न कर दिया और इनकी पोल खोल कर रख दी। ईडी ने ताजा कार्रवाई करते हुए मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत हुुर्रियत नेता शब्बीर अहमद शाह की सम्पत्ति को कुर्क कर लिया। शब्बीर शाह के बेटे गुलाम मोहम्मद शाह के नाम पर अचल सम्पत्ति को कुर्क कर लिया गया। शब्बीर शाह के खिलाफ की गई कार्रवाई के दौरान एक करोड़ रुपए की अचल सम्पत्ति भी बरामद की गई। शब्बीर शाह के पास आय का कोई जरिया नहीं था और  उसने कोई आयकर रिटर्न भी फाइल नहीं की थी। वह केवल नकद में चंदा लेता था और कोई रसीद भी नहीं देता था। ईडी ने शब्बीर शाह और असलम वाणी को गिरफ्तार किया था। 2017 में यह कार्रवाई शुरू की गई थी। असलम वाणी ने ही शब्बीर शाह को पाकिस्तान से आए करोड़ों रुपए देने का खुलासा किया था। 
हैरानी की बात यह है कि देश की पूर्व की सरकारें इन नेताओं को सुरक्षा देती थी आैर इन पर काफी धन खर्च किया जाता था। ईडी और एनआईए के लगातार छापेमारी के बाद हुर्रियत नेताओं के तार पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगनाओं हाफिज सईद, लकवी चाचा और अन्य से सीधे जुड़े हुए मिले। एक हु​र्रियत नेता की तो होटलों में हिस्सेदारी भी मिली। कुछ अलगाववादी नेताओं की पत्नियां विदेशी हैं। उन्होंने विदेशों में फ्लैट और बिजनेस स्थापित कर लिए और टेरर फंडिंग का पूरा खुलासा हो गया। ईडी और एनआईए ने लगातार कार्रवाई कर आतंकवाद की कमर तोड़ दी और हवाला के जरिये आने वाले पैसे की सप्लाई चेन तोड़ कर रख दी। अगर यह काम पूर्व की सरकारों ने किया होता तो कश्मीर में खूनी खेल रूक सकता था। जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने धारा 370 को हमेशा के लिए खत्म कर जिस दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है उससे कश्मीर में हालात बदलने लगे हैं। अब कश्मीरी आवाम को वह सभी अधिकार प्राप्त हैं जो पूरे भारत में लोगों को प्राप्त हैं। कश्मीरी युवाओं को रोजगार मिलने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन बढ़ा है। घाटी में सिनेमाघर खुलने लगे हैं और विकास की परियोजनाएं लगातार जारी हैं। हालांकि पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्रवासी मजदूरों और कश्मीरी पंडितों की हत्याएं कर रहे हैं लेकिन सुरक्षा बलों का मनोबल काफी ऊंचा है। 
यासीन मलिक जैसे आतंकवादी जेल में अपनी सजा भुगत रहे हैं। यासीन मलिक का निकाह पाकिस्तान की मशाल हुसैन से हुआ और इसने ही हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान में मंच सांझा किया था। श्रीनगर में पाकिस्तान का झंडा फहराने वाली और हुर्रियत की महिला विंग की नेता आंद्रिआ असाबी पर भी कानूनी शिकंजा कसा जा चुका है। कौन नहीं जानता कि हुर्रियत के नाग कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पथराव, मुठभेड़ों के दौरान आतंकवादियों को भगाने, विरोध प्रदर्शन, बंद, हड़ताल और अन्य विध्वंसक गतिविधियों में सक्रिय तौर पर लिप्त रहे हैं। कश्मीर की बदलती तस्वीर का संकेत इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर ही मिल गया था जब 30 साल बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया था। इस मौके पर पूरे शहर में तिरंगे फहराए गए थे। गृहमंत्री अमित शाह लगातार कश्मीर दौरे पर जाते रहते हैं। अमित शाह न केवल पाकिस्तान को ललकारने  का काम कर रहे हैं बल्कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने  का संदेश भी दे रहे हैं। अगले साल मार्च या उसके बाद कभी भी कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं और  इसको लेकर चुनाव आयोग व्यापक स्तर पर तैयारियां भी कर रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने पहाड़ी समुदाय के लोगों को आरक्षण देने का ऐलान किया था और आगामी विधानसभा चुनाव में पहाड़ी समुदाय के वोटर भी बड़ी भूमिका​ निभाएंगे। एक तरफ जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की तैयारियां जोरों पर हैं तो दूसरी तरफ आतंक पर प्रहार भी पूरी ताकत से किया जा रहा है। उम्मीद है कि कश्मीर में आतंक का समूल नाश होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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