कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों के 16 विधायकों के इस्तीफे के बीच एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार का गुरुवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण होगा। विधानसभा के एजेंडे के मुताबिक आज सदन की कार्रवाई शुरू होते ही मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ‘विश्वास मत’ पेश करेंगे। बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन की ताकत घटकर 101 रह गयी है।
ऐसे में 225 सदस्यीय विधानसभा में अपनी सरकार को बचाने के लिए श्री कुमारस्वामी को कम से कम 12 विधायकों की जरूरत होगी। इस बीच कांग्रेस और जद (एस) के नेता बागी विधायक रामालिंगा रेड्डी को अपने खेमे में लाने में कामयाब रहे हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं को भरोसा है कि श्री रेड्डी के करीगी चार और बागी विधायक भी उनकी ही तरह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे।
बहुजन समाज पार्टी के इकलौते विधायक महेश, जिन्होंने विधानसभा में अलग सीट की मांग की थी, ने इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है कि वह सरकार का समर्थन करेंगे या तटस्थ रहेंगे। उन्होंने कहा,‘‘मैं अपनी पार्टी प्रमुख मायावती के निर्देशों का इंतजार कर रहा हूं।’’ दो निर्दलीय विधायकों, जो कुमारस्वामी-सरकार में मंत्री भी थे, ने भी बगावत कर भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन देने का एलान किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता बी एस येद्दियुरप्पा ने अपने पार्टी विधायकों के साथ रिसॉर्ट में कई दौर की बैठकें की और सदन में विश्वास प्रस्ताव को गिराने के लिए रणनीति बनाई। भाजपा के पास 105 विधायक है और उसे दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है। प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि यदि विश्वास प्रस्ताव गिरता है तो भाजपा सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किये गये हैं।